पीके ठोंकूं
लीजिए उदय शंकर के बाद अब IBN7 के नाम पीके ठोंकूं का खुल्ला पत्र ( उदय शंकर के नाम पीके की चिठ्ठी ! )
राम-राम भइया लोगन..सभी का पीके का राम-राम
हम पीके ठोंकू एक बार फिर से हाजिर हूं। हम फिर से आप लोगन की खातिर मैं हाजिर हूं। चलिए आगे बढ़ने से पहलइन हम एक बार फिर से जरा पनवा चबाइ लूं। हम्मम। अब ठीक बा। दरअसल बात ई का कि बहुत ही दिन से भीतर ही भीतर बहुतन ही जोरन से कछु कुलबुलाइन रहत। भाई आप सब लोगन तो जानत ही हो कि मुकेश भइया ने कछु ही महीना पहिले आईबीएन सेबन पर कब्जा कर लिया। हमरा मतलब इ बा कि चैनल खरीद लिया मुकेश भइया ने। अब चैनल खरीदन से पहले राजदीप और आसुतोषन को भी बहुत ही प्यार से सटियाई द रहिन। ई खुद का बहुत ही बड़का पतरकार समझत रहिन। अब क्या कहें। आप सब जानत हो। सब समझत हो। अर ऊ नोटवा कमाना है, तो तो सोदी भाई का ध्याबा तो रखना ही पडेगा न। कुल मिलाकर मीडिवा के लिए बहुत ही घटिया है। बहुत ही घटिया है। एक ही बातन के कई मतबल हैं। कई मतबल हैं।
खैर हम मुद्दे की बात पर आवत है। मुद्दे की बात ई बा कि आईबीएन चैनल ने पिछलइन दिन बहुतन ही सोर मचाया। बहुत ही चिल्लाया भाई। बदलाव होइ रहा है। क्लेबर चेंज होइ रहा है। जोर-सोर से प्रोमो चलाए रहिन। चिल्ला चिल्ला कर कहा भाई कि आ रहा है नए क्लेबरवा के साथ, लेकिन निकला का। निकला ई बा कि “घोंसला” है। ऊ उमेसबा मैनेजिंग इडिटर बनाई दिया सुमितवा को। अरे का उमेसवा भाई। आपको मारेकट में और कोई एडिटर ही न मिलत। अरे भइया बहुत हैं, जो आपन सोदी जी की पॉलिसान को आगे बढ़ान के साथ-साथ बढ़िया क्रिएटिविटी भी बेतरीन ढंग से दिखान में समर्थ हैं। हमरी समझ मा तो अभी तक यही आबत है कि ई सुमितवा चैनल से ज्यादा खुद को ही चमकान में ज्यादा लगत है। अपन-अपने के लोगन को इसने लाना शुरू कर दिया। पहले जी चैनलबा से एक अइंकर को अपन के साथ लाया। फिर काफी समय से खालिन और पुरानी सहेलिन को अपन के साथ चिपकाई लिया। ऊ कौन है..का नाम है उसका। हां याद आया। रिचा अनिरूद्ध। धीरे-धीरे बाकी लोगन को लाया। चैनल के बदलाव के नाम पर हमे तो बस एक ही बातन दिखाई पड़ी। ऊ इ कि ये सबन लोग प्रोमो के जरिए खुदन को चमकाने में ज्यादा बीजी है भाई। जब देखो खबर बिल्कुल न दिखाई पड़त। बिल्कुल नाही। न न्यूज दिखत है। न स्पोरट्स दिखत है। न क्राइम दिखत है। न सिनेमा दिखत है। हमार कहने का मतलब ई बा कि बाकी चैनल के परोगराम की तुलना में आपन के ई परोगराम बिल्कुल न दिखत हैं। पता नहीं कऊन बनावत है। न आइडिवा है। न ही किरिटिवटी। बस सब चिल्लवात है। हऊंसला है। हऊंसला है। कद्दू है। इकदम से घऊंसला है। इतना घटिया ले आउट और स्क्रीन बनावत है कि देखन के ही उल्टी आवत है।
पता नहीं इस उमेसवा भी किस पर दांव लगावत है। अब आप तो जानत हैं कि हम पीके अंतरयामी हूं। हाथ पकड़कन के ही सबकुछ पता लगा लेत हूं। हम आपको बता दूं कि हम सुमितवा का दोइनों हाथ बहुत ही कसकर पकड़ा हूं। उसे पूरी तरह भीतर तक जानत हूं और उसका सबकुछ टिरांसफर अपने भीतर ले लिया हूं। उसी आधार पर और पूरे भरोसन के साथ कहत हूं कि इस सुमितवा से कछु भी न हो सकत है। ई चाहे कितना भी जोर लगा ले। ई चाहे कितना भी कुनबा क्यों न जोड़त, लेकिन हम आपको बता दूं कि सबकछु “घोंसला” ही दिखत। अब आप ही सोचो भाइन लोगन। ई सारी जिंदगी एंकरिंग करत रहा। इसका इतिहास भी आपन के साइमने है। खैर। उमेसवा भाई ईसबर आपकी मदद करे। पैसन खूब खरच होइत रहिन। खूब लोगन अपना चेहरा चमकाइन रहित। खूब चिल्लाइन रहित। हऊंसला है, ऊंसला है। मगर हम आपको बहुत अच्छी तरह बताइ रहिन कि सब कछु घोंसला ही है और लिख लो और नोट कर लो डायरी पर। ऊ ई कि आगे भी घोंसला ही रहित। अरे उमेसवा भाई अगर कुछ करना है तो पहले आप अच्छन लोगन को जमा करें।
खैर एक काम तो आप बहुत ही अच्छा करिन। पूरी जिंदगी कछु न करन वाला पालीवालन को भगाई दिया। दूसरा अच्छा काम आपन न ई किया कि आरसी को बुलाई लिया। अब कछु उम्मीदवा जरूर है, लेकिन उमेसवा भाई हम आपको बता दूं कि अभी आपन को बहुत ही जियादा काम करना है। बिल्कुल करना है। हंडरइट परसेंट करना है। बरना आप देखन ही हो कि टीआरपी तो आपको घोंसला ही दिखावत है। हम अब भी आपसे कहवत हूं कि सारी जिम्मेबारी किसी क्रिएटिब और कुछ अलग हटके सोइचन वालन इडिटर को सौंप दो। ठीक है। अब भी आपन के पास सुधरने का समय है। वर्ना आप तो जानत ही हो। उमेस भाई हम आपको बता दूं कि सुमितवा का हम बहुत सालों पहले ही सबकुछ टिराइंसफर ले लिया हूं। उसके दोनों हाथ कसकर पकड़कर टिराइंसफर लिया हूं। इससे तो कछु न होत। भाई पीके का काम है आपन को सच दिखाना और समझाना। अब आपकी समझ में आवत है, तो ठीक। आग आपन की मर्ची। अभी तक तो सबन ही “घोंसला” ही है। ठीक है भाई लोगों चलता हूं। हम पीके को औरन भी खबर लेना है। औरन को भी ठोंकना है। ठीक है। राम-राम भाइयों। आगे आपन लोगन से फिर मुलाकातवा होगी।
आपका प्यारा…सभी का दुलारा
पीके ठोंकूं
(नोट: हम पीके ही ठोकत हूं)