खबर दिखाना गलत नहीं लेकिन खबर को तमाशा बनाकर दर्शकों के साथ खेलना किसी धोखे से कम नहीं. हिंदी के तमाम बड़े-बड़े समाचार चैनल आजकल इसी खेल में लगे हुए हैं. सबको खजाने की तलाश है. तलाश टीआरपी खजाने की और जिसकी चाहत में बाकी सारी ख़बरों को दरकिनार करके बस महाखजाने की महाकवरेज की जा रही है. दर्शकों के सामने पीपली लाइव का दृश्य और उसके किरदार सामने हैं. लेकिन इस भीड़ से हटकर स्टैंड लिया है न्यूज़ एक्सप्रेस के चैनल हेड निशांत चतुर्वेदी ने. न्यूज़ एक्सप्रेस ने फ़ैसला किया है कि एक खबर के चलते देश के करोड़ों दर्शकों को दूसरी कई ज़रूरी ख़बरों से दूर नहीं रखा जा सकता है।
न्यूज़ एक्सप्रेस ने बाकायदा कार्यक्रम चलाकर इस संदर्भ में अपना स्टैंड क्लियर किया कि वे खजाने की खोज में बाकी ख़बरों की तिलांजलि नहीं देंगे. न्यूज़ एक्सप्रेस ने एलान किया कि , ‘ख़बरों को लेकर भले ही फिल्म तक में न्यूज़ चैनलों का मजाक उड़ाया गया हो लेकिन हम मीडिया को मजाक नहीं बनने देंगे। माना कि खजाने का मिलना देश के लिए ज़रूरी है लेकिन जो ख़बरों का खजाना है उसकी अनदेखी हम किसी भी क़ीमत पर नहीं कर सकते। और इसीलिए हम अपने दर्शकों को उन ख़बरों से रुबरू कराते रहेंगे। ताकि सोने की चमक के आगे ख़बरों की चमक फीकी नहीं पड़े।’
न्यूज़ एक्सप्रेस और चैनल हेड निशांत चतुर्वेदी के इस साहसिक कदम का स्वागत होना चाहिए. बड़े चैनलों को भी इससे सीख लेनी चाहिए. उन्हें समझना चाहिए कि महाखजाने की खोज में वे अपने असली खजाने यानि दर्शकों को भूल रहे हैं. यह खजाना हाथ से गया तो दुबारा नहीं मिलेगा. इतिहास गवाह है. बहरहाल न्यूज़ एक्सप्रेस और निशांत चतुर्वेदी को बधाई. उम्मीद करते हैं कि वे अपने फैसले पर कायम रहेंगे और खजाने की खोज के इस पीपली लाइव से दूर रहेंगे. आमीन!