ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार
उड़ी हमले के परिप्रेक्ष्य में एक अनुभवी और ज़िम्मेदार नागरिक ने – जो मेरे मित्र भी हैं – अपने विचार मुझसे साझा किए हैं। उनका कहना है कि इस विकट घड़ी में जुमलों, राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों और उन्मादी मीडिया के विलाप से हटकर विवेक बनाए रखने की चरम आवश्यकता है; “युद्ध केवल और केवल अंतिम उपाय है, तभी जब बाक़ी सभी तरीक़े विफल हो चुके हों”। मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूँ। वे अपना नाम नहीं देना चाहते, पर उनकी बात मुझे इतनी सारगर्भित और अहम लगी कि उनकी सम्मति से उनका मज़मून आपसे जस-का-तस साझा कर रहा हूँ:
1. ख़याल करें, पंजाब, असम, मिज़ोरम आदि में आतंकवाद पाकिस्तान पर हमले के बग़ैर क़ाबू किया गया था।
2. कश्मीर में भी पिछले साल तक हालात काफ़ी सामान्य हो गए थे। घाटी पर्यटकों से भरी थी और पिछले पाँच साल में घाटी में आतंकवादी घटनाएँ बहुत ही कम हो गई थीं।
3. आतंकवाद को पालने-पोसने के कारण पाकिस्तान आज एक विफल राष्ट्र है।
4. आतंकवाद पालना किसी भस्मासुर को पैदा करने जैसा है। पाकिस्तान में आए दिन बम विस्फोट और आतंकवादी हमले जगज़ाहिर हैं।
5. कभी भारत ने भी भस्मासुर पालने की कोशिश की थी। भिंडरावाले और LTTE के रूप में। उसकी हमने भारी क़ीमत अदा की ।
6. यह बात अपनी जगह सही है कि जब बात सुरक्षा और राष्ट्रहित की हो, तो कई बार युद्ध ज़रूरी हो जाता है।
7. पिछले सत्तर सालों में सैन्य शक्ति का विकास, परमाणु शक्ति, मिसाइलों का विकास, युद्धपोतों, पनडुब्बियों, उपग्रहों, राकेटों आदि की प्रगति युद्ध की तैयारी का ही हिस्सा है।
8. लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि युद्ध केवल और केवल अंतिम उपाय है। तभी जब बाक़ी सभी तरीक़े विफल हो चुके हों।
9. आतंकवाद को पालने और समर्थन देने के कारण ही आज पाकिस्तानी पासपोर्ट को पूरी दुनिया में शक की नज़र से देखा जाता है।
10. अपने नैतिक स्टैंड और आर्थिक, शैक्षिक तरक़्क़ी की वजह से ही भारतीय पासपोर्ट की पूरी दुनिया में इज़्ज़त है और भारतीय न सिर्फ़ दूसरे देशों में आराम से रह रहे हैं, बल्कि सम्मान भी पाते हैं।
11. यदि सिर्फ़ पाकिस्तान को सबक़ सिखाने के लिए जवाबी तरीक़े अपनाए गए, तो विश्व में भारतीय पासपोर्ट के प्रति क्या नज़रिया पनपेगा, ख़ास तौर पर तब जब पूरी दुनिया हिंसा और आतंकवाद से त्रस्त है?
12. पाकिस्तान आज भारत से बहुत पीछे है। भारत की यह तरक़्क़ी ही हमारी असली विजय है।
13. पाकिस्तान की तमाम कोशिशें भारत की इस तरक़्क़ी को रोकने के लिए हैं। इसलिए जो भी जवाबी कार्रवाई हो, वह विकास के इस सफ़र को न तो ब्रेक लगाए, न पीछे की और मोड़े।
14. यदि जवाबी कार्यवाही के चलते भारत के विकास को भारी नुक़सान हुआ तो पाकिस्तान हार कर भी जीत जाएगा।
15. पाकिस्तान की ‘हम तो डूबे हैं सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे’ की नीति को सफल होने का मौक़ा नहीं देना चाहिए।
16. पिछले सात आठ सालों से भारत की स्पेशल फोर्स चुपचाप बदला लेती रही है। सौरभ कालिया और उसके साथियों का बदला भी इसी तरह लिया गया था। हाँ, वह सब मीडिया और जनता से साझा नहीं किया जाता था, क्योंकि राष्ट्रहित में की गई हर कार्यवाही जनता को दिखाने के लिए नहीं की जाती।
17. लोकतंत्र में चुनाव जीतने के लिए बहुत सी बातें कही जाती हैं और भावनाएँ उभारी जाती हैं। वह सब लोकतांत्रिक खेल का हिस्सा है। लेकिन राष्ट्रीय हित के सामरिक फ़ैसले न तो चुनावी बातों के बंधक हो सकते हैं, न भीड़तंत्र से निर्देशित हो सकते हैं, न भावनाओं के वशीभूत हो सकते हैं।
18. निपट शक्ति प्रदर्शन से न तो अमेरिका जैसा देश इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया आदि पर पूरा नियंत्रण कर सका है, न ही इज़रायल कभी फ़िलिस्तीन को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर सका है।
19. हाँ, भारत ज़रूर अपने कई हिस्सों से आतंकवाद का पूरी तरह ख़ात्मा करने में कामयाब हुआ है। हमारा अनुभव और रेकार्ड दूसरे देशों से कहीं बेहतर रहा है। आज ज़रूरत अपने सफल अनुभवों को समझने की है।
20. सामरिक फ़ैसले जनता की राय से नहीं, जानकारों से मशविरे के बाद किए जाते हैं। ये जानकार सिस्टम के भीतर भी होते हैं और पुरानी सरकारों के नुमाइंदे भी इस मशविरे में साथ लिए जा सकते हैं ।
21. राष्ट्रहित के मामलों में सरकार को भीड़तंत्र के दबाव से मुक्त रखना ख़ुद सरकार की, विपक्ष की और मीडिया की – सबकी – सामूहिक ज़िम्मेदारी है, ताकि निर्णय विवेक से, सलाह से और जानकारों की सहमति से हो। और जब ऐसा फ़ैसला हो जाए तो सब एकजुट, चट्टान की तरह खड़े हों।
22. सबसे पहले, इस घड़ी में, देश में अंदरूनी एकता के लिए सामाजिक विभेद और तनाव को कम करने की हर सम्भव कोशिश होनी चाहिए।
23. और अंत में: यह हमेशा याद रखें कि पिछले सत्तर साल में भारत ने हर अंदरूनी-बाहरी चुनौती का सफलता से मुक़ाबला किया है। इन सत्तर सालों में भारत बिखरा नहीं, बल्कि इसने मज़बूती और एकजुटता से उन्नति की है । यक़ीन रखें कि नारों, चुनावी आरोपों-प्रत्यारोपों और उन्मादी मीडिया के विलाप से परे भारत एक सशक्त और सफल राष्ट्र है। जय हिंद।
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