धरती से दौलत पैदा करने का सपना साकार करेगा किसान चैनल- राजेन्द्र शुक्ल
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में “दूरदर्शन किसान चैनल: स्वरूप एवं रचना” विषयक संविमर्श सम्पन्न
भोपाल 12 सितम्बर । दूरदर्शन द्वारा प्रारम्भ किया जा रहा किसान चैनल धरती से दौलत पैदा करने का सपना साकार करेगा। हमारे देश में पुरातनकाल से यह मान्यता है कि किसान समृद्ध होगा तो देश समृद्ध होगा। खेती लाभ का धंधा बने, समस्त कृषि आधारित कार्यों को किसान से जोड़कर एक बड़ी इंडस्ट्री खड़ी की जा सके, किसानों को कृषि के संबंध में शिक्षा, सूचना एवं ज्ञान प्राप्त हो सके, ऐसे सभी प्रयासों में दूरदर्शन का किसान चैनल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने व्यक्त किये। वे विश्वविद्यालय द्वारा प्रसार भारती एवं मेपकॉस्ट के सहयोग से आयोजित “दूरदर्शन किसान चैनल: स्वरूप एवं रचना” विषयक संविमर्श में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
हाल ही में केन्द्रीय बजट में दूरदर्शन किसान चैनल प्रारम्भ करने की घोषणा की गई है। किसान चैनल का स्वरूप, रचना एवं उसकी विषयवस्तु किस तरह हो? इस पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय, प्रसार भारती एवं मेपकॉस्ट के संयुक्त तत्वावधान में संविमर्श का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुये श्री शुक्ल ने कहा कि किसानों को समृद्ध करने के लिए खेती को लाभ का धंधा बनाना होगा। इस दिशा में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। इसके अंतर्गत किसानों को बीज, खाद, बिजली, पानी तथा ऋण संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध कराने का संकल्प लिया गया है। शीघ्र ही फसल बीमा योजना के माध्यम से मिलने वाली राशि का वितरण किसानों को किया जायेगा। मध्यप्रदेश ने तीव्र कृषि विकास दर हासिल करते हुये “कृषि कर्मण पुरस्कार” प्राप्त किया है। यह मध्यप्रदेश में कृषि की प्रगति का परिचायक है। किसान चैनल हमारे प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश के कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन करते हुये दूरदर्शन के ए.डी.जी. श्री मनोज पटैरिया ने कहा कि भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ किया जा रहा 24 घंटे का किसान चैनल हमारे किसान भाईयों को समर्पित होगा। किसान चैनल का स्वरूप, रचना एवं विषयवस्तु किस तरह की हो इस पर 4 अगस्त 2014 को दिल्ली में कंसल्टेशन मीट का आयोजन किया गया था। इस कंसल्टेशन मीट में यह निर्णय लिया गया कि देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर इस तरह की कंसल्टेशन मीट आयोजन की जायेगी। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं बुंदेलखंड को सम्मिलित कर मध्य क्षेत्र की यह कंसल्टेशन मीट पत्रकारिता विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित की जा रही है। इस मीट के दो मुख्य पहलू है- नोलेज एवं कम्युनिकेशन। किसान चैनल का जो स्वरूप अभी निर्धारित किया गया है, उसके अनुसार किसान चैनल चार प्ले टफॉर्म – राष्ट्रीय नेटवर्क, क्षेत्रीय चैनल, नैरोकास्टिंग तथा सोशल मीडिया पर काम करेगा। प्रयोगशालाओं एवं विज्ञान केन्द्रों का कार्य जमीनी स्तर पर आम आदमी तथा किसान तक पहुँच सके, यह प्रयास किसान चैनल द्वारा किया जायेगा। चैनल की विषय सामग्री हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी होगी। किसान को केवल कृषि संबंधी कार्यों से जोड़कर देखना एक संकुचित दृष्टिकोण हो सकता है। किसान को कृषि के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, मार्केटिंग, बैंकिंग, प्रोडक्शन आदि जानकारियों की आवश्यकता होती है। यह जानकारी किसान का वेल्यु एडीशन करती है। किसान चैनल ऐसे प्रयास करेगा कि कृषक को विभिन्न क्षेत्रों की अधिक से अधिक जानकारी मिल सके।
कार्यक्रम के दो सत्रों में किसान चैनल के स्वरूप एवं रचना पर विचार किया गया। प्रथम सत्र किसान कौन? उसकी सूचना आवश्यकता तथा द्वितीय सत्र किसान चैनल की प्रस्तावित रूपरेखा पर आधारित था। कार्यक्रम में पधारे केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के प्रतिनिधि श्री नरेश सिरोही ने कहा कि किसान चैनल हमारी कृषि एवं हमारी कला संस्कृति को नये स्वरूप में प्रस्तुत करेगा। कृषि कार्य पर चिंतन करते हुये छोटे कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना तथा स्थानीय प्रतिभाओं को सामने लाना इस चैनल का कार्य होगा। विज्ञान भारती के महासचिव श्री जयकुमार ने कहा कि किसान चैनल कृषकों के निर्माण एवं उन्हें विकसित करने के उद्देश्य से प्रारम्भ किया जा रहा है। यह युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने का प्रयास करेगा। स्कूली विद्यार्थियों को हमारे देश की कृषि परम्परा की जानकारी हो, ऐसे प्रयास इस चैनल के माध्यम से किये जाएँगे। यह प्रयास किया जायेगा कि कृषकों के साथ यह आम आदमियों के लिए भी रोचक एवं मनोरंजन कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाला चैनल बन सके। मेपकॉस्ट के महानिदेशक श्री प्रमोद कुमार वर्मा ने कहा कि परम्परागत एवं आधुनिक तकनीकों के समावेश से कैसे कृषि कार्य का विस्तार किया जा सके यह इस चैनल का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। “अपना पानी, अपना बीज, अपनी खाद, अपना स्वाद” टैग लाईन से सुसज्जित इस चैनल को कृषि पर आधारित सक्सेज स्टोरीज़ प्रसारित करना चाहिए। क्लाइमेट चेन्ज, पर्यावरण आदि विषयों पर भी इस चैनल में कार्यक्रम देने चाहिए।
द्वितीय सत्र में ग्राम भारती विश्वविद्यालय, इलाहाबाद के कुलपति श्री के.बी.पाण्डेय ने कहा कि नौजवानों को खेती से दूर जाने से किस तरह रोका जाये यह मुख्य रूप से प्रसारित होना चाहिए। कृषि को पेशा या धंधा न मानकर उपासना या साधना की तरह लिया जाना चाहिए। किसान चैनल को जमीन का मालीकाना हक रखने वाले किसान के साथ-साथ उसकी भी चिंता करनी चाहिए जो जमीन पर मालीकाना हक न होने के बाद भी कृषि कार्य में लगा हुआ है। जबलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री आनंद स्वरूप तिवारी ने कहा कि आधुनिक एवं पुरानी कृषि तकनीकों पर संतुलन के साथ रोचक विषय सामग्री किसान चैनल पर प्रसारित होना चाहिए। वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी श्री देवेन्द्र जोशी ने कहा कि शासकीय योजनाओं की विशेषकर कृषि आधारित योजनाओं का अधिकाधिक जानकारी किसान चैनल से प्रसारित होना चाहिए।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि कृषकों को केन्द्र में लेकर प्रारम्भ किया जा रहा किसान चैनल एक सुखद अनुभव है। किसान चैनल को युगानुकूल एवं देशानुकूल बनाने की आवश्यकता है। कृषि का संबंध व्यापक संदर्भों में हमारी संस्कृति से है। कृषि चैनल की विषयवस्तु का निर्धारण करने से पूर्व नीड असेसमेंट की आवश्यकता है। किसान चैनल सही अर्थों में किसान का, किसानों द्वारा संचालित चैनल होना चाहिए। यह चैनल लोक प्रसारक के रूप में दूरदर्शन चलाये अथवा इसका अपना रेवेन्यू मॉडल हो, यह भी विचार किया जाना चाहिए। लोक प्रसारक के रूप में इस चैनल का संचालन सही अर्थों में इसकी उद्देश्य पूर्ति में सहायक होगा। विश्वविद्यालय शीघ्र ही कृषि चैनल के संबंध में सुझाव आमंत्रित करने के लिए एक पोर्टल बनायेगा। इस पोर्टल पर आ रहे सुझावों से प्रसार भारती को अवगत कराया जायेगा।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न भागों से पधारे कृषि विशेषज्ञ, कृषि विश्वविद्यालयों के शिक्षक पदाधिकारी, कृषि संस्थाओं से जुड़े अधिकारी, स्वेच्छिक संगठनों के प्रतिनिधि, मीडियाकर्मी, कृषक महिला-पुरुष तथा पत्रकारिता विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं अधिकारी उपस्थित थे।