इंडिया टीवी की चिरकुटई ने निकम्मा बना दिया !

india tv world end

डीटीएच की बदौलत चैनलों की पहुँच दूर – दराज के गाँवों तक हो गयी है जहाँ कुछ लोगों के पास ही टेलीविजन होता है. वहां बिजली के अभाव में लोग जेनरेटर या ट्रैक्टर की बैटरी से टेलीविजन देखते हैं.

अब जहाँ इतनी दिक्कत से लोग कुछ देर टेलीविजन देख पाते होंगे उनकी टेलीविजन कार्यक्रमों और समाचार चैनलों की खबरों में कितनी गहरी रुचि होगी, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. ऐसे गाँव – देहात में खबरिया चैनलों की खबर का असर भी गहरा होता है और समाचार चैनलों की खबरों को लोग सच मानकर चलने लगते हैं.

इंडिया टीवी की एक ऐसी ही खबर से पिछले काफी समय से गाँव – देहात में लोग चिंतित थे. खबर दुनिया के खत्म होने की.

इंडिया टीवी चिरकुटई करते हुए अलग – अलग अंदाज़ में ये ख़बरें चलाता रहा कि 21 दिसंबर, 2012 को खत्म हो जायेगी.

असर ये हुआ कि लोगों में भय का वातावरण फैल गया. कुछ लोग इसे सच मानकर चल रहे थे और डर की वजह से इस अफवाह को हवा भी दे रहे थे.

लेकिन गाँव के कुछ लोगों ने इस भय को निकम्मेपन की बैशाखी पहना दी और काम धंधा छोड़ दिया कि दुनिया तो खत्म होने वाली है. काम करके क्या करेंगे.

बिहार के मोतिहारी जिले के बसवरिया गाँव के निवासी लोकेश शुक्ला बताते हैं कि, ‘समाचार चैनलों को हमलोग बड़ी इज्जत की निगाह से देखते थे. लेकिन ये तो अंधविश्वास और अनर्गल चीजों को बढ़ावा देते हैं. मेरे गाँव में कई साल से दो – चार लोग कुछ काम – धंधा नहीं कर रहे. जमीन बेचकर खा रहे हैं. कोई समझाता है तो उसे ही इंडिया टीवी की दुनिया खतम होने वाली स्टोरी का हवाला देकर चुप करा देते हैं. दरअसल इंडिया टीवी ने इन्हें निकम्मा बना दिया.’

(एक दर्शक की नज़र से )

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