चलिए इंडिया टीवी, एक – एक सोंटा लगाकर आते हैं
आप इस पोस्ट को पढ़ पा रहे हैं. मतलब दुनिया खत्म नहीं हुई है. 21 दिसम्बर आ गया और चला भी जाएगा. लेकिन दुनिया के खत्म होने का कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहा. अमेरीका की स्पेस एजेंसी नासा ने कहा है कि 21 दिसंबर 2012 को दुनिया का आखिरी दिन नहीं होगा.
यानी समाचार चैनलों के संपादकों और उनके प्रोड्यूसरों की सारी मेहनत मिट्टी में मिल गयी जो दुनिया के खत्म होने से संबंधित खबरों को बनाने में उन्होंने लगा दी.
ऊपर से नासा की चिरकुटई करते हुए ये कहना कि अभी दुनिया खत्म होने नहीं जा रही. भला ये भी कोई बात है. नासा का बेड़ा गर्क हो जो चैनलों के लिए आगे का भी रास्ता बंद कर रहा है और हम दर्शकों को खबरिया चैनलों की बेमिसाल स्टोरीज को देखने से वंचित कर रहा है. सत्यानाश हो इस मुएँ नासा का और इस नामुराद पर सीधे शनि ग्रह आकर गिरे.
नासा को ऐसा कहने से पहले हिंदी समाचार चैनलों के संपादकों के मायूस चेहरे को तो कम – से – कम एक बार देख लेना चाहिए था. उन्होंने दुनिया के खत्म होने के महापर्व में जी – जान से अपना योगदान दिया. न जाने कितनी खबरें दिखाई. माया कैलेंडर तक बेचारे निकाल लाये.
टेलीविजन स्क्रीन पर बने स्पेसशिप पर बैठकर अंतरिक्ष तक हो आये. वहां से दुनिया कैसे खत्म होगी, ये तक दिखाया. खोजी पत्रकारिता का आलम देखिये कि उस ग्रह को भी ढूंढ निकाला जो पृथ्वी से टकराने वाला था. सौर तूफ़ान को भी धर लाये जिससे भूलोक पाताल में समाने वाला था. लेकिन सूरज भी इतना नहीं गरमाया. उलटे हमलोग ठंढ में कंपकपा रहे हैं. चैनलों ने आकाश – पाताल एक कर दिया. लेकिन निकलकर क्या आया – सिफर. ये तो बड़ी नाइंसाफी है ठाकुर ‘जी’.
वैसे सबसे ज्यादा नाइंसाफी इंडिया टीवी के साथ हुई है. मेहनत तो सभी ने की, लेकिन इंडिया टीवी जैसी लगन और हिम्मत कोई दूसरा चैनल नहीं दिखा पाया और इसी वजह से दुनिया के खत्म होने वाली खबर के मामले में इंडिया टीवी अव्वल नंबर पर रहा. उसकी बराबरी कोई दूसरा चैनल नहीं कर सका.
सुना है कि दुनिया के खत्म होने के नज़ारे की कवरेज के लिए इंडिया टीवी ने खास तैयारी की थी. जगह – जगह कैमरे लगाये गए थे. रिपोर्टर तैनात थे. खुद रजत शर्मा 21 दिसंबर को पूरे दिन इंडिया टीवी के स्क्रीन से दुनिया के होने का एलान करके टीआरपी की रेस में हमेशा के लिए अव्वल होने वाले थे.
लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. सारी तैयारियां धरी – की –धरी रह गयी. दुनिया खत्म नहीं हुई. लेकिन गाँव – देहात और शहरों में लोग सोंटा (बांस की छड़ी) लेकर घूम रहे हैं और इंडिया टीवी समेत दूसरे चैनलों के संपादकों को कह रहे हैं कि अपनी पिछाड़ी आगे कीजिये, आपको सोंटा मारना है. दुनिया खत्म नहीं हुई, अब आप खत्म हो जाइए. तोहफा कबूल कीजिये.
सटाक …. सटाक ….. सटाक.
आईं … बाप रे बाप. कान पकड़ते हैं. अब कभी न दुनिया खत्म करेंगे.