अब्दुल रशीद
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत परंपरागत राजनीति के साथ साथ विकास के वायदों को महज़ जूमला समझने वालों और सबका साथ कहकर लोगों को धर्म के नाम पर बांट कर वोट लेने कि ख्वाहिस रखने वालों के लिए यह सबक है के अब जनता का विश्वास ऐसे नेताओं पर नहीं रहा और यदि बेहतर विकल्प मिलेगा तो परिणाम ऐसे ही आने वाले समय में देखने को मिलेगा. अब राजनैतिक पार्टियों को इस बात को समझना होगा के आम जनता अपने रहन सहन में बेहतरी लाना चाहता है,आर्थिक जीवन स्तर को सुधारना चाहता है,आपस में मधुर संबंध बनाना चाहता है न की धार्मिक विभाजन और लालीपाप वायदा.
लोक सभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत से केंद्र कि सत्ता पर क़ाबिज भाजपा कि सरकार ने अपने बीते महीने के कार्यकाल में लोक सभा चुनाव के दौरान किए गए वायदों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रयास न तो किए और न ही करते हुए दिखे, अलबत्ता चनावी वायदों को दिल्ली के चुनाव प्रचार के दौरान जूमला कहकर आई गई बात कह कर सबको स्तब्ध कर दिया.मिडिया का गढ़ होने के कारण अन्य राज्यों कि तुलना में दिल्ली में मीडिया ज्यादा तीव्र होती है जहां आपकी हर एक्टिविटी पर पैनी नज़र रहता है इसलिए हकीक़त को ज्यादा देर पर्दे में छुपा कर रखना संभव नहीं होता. यही वजह रहा की हर मुद्दों पर गंभीर विश्लेष्ण होता रहा और जनता देखती रही और समझती रही के कैसे चंद महीनों में ही वायदों को जूमला बना कर हवा में उड़ा दिया जता है.
दिल्ली में भाजपा के नकारात्मक प्रचार ने आम जनता को यह ऐहसास करा दिया के भाजपा के कथनी और करनी मे कोई तालमेल नहीं है. भाजपा को सत्ता विस्तार चाहिए वह भी जुमलों के दम पर.जबकी भाजपा को विकास और बेरोजगारी से मुक्ति के लिए सत्ता का बागडोर जनता ने दी थी. हाँ वायदों कि जगह खामोश रहते हुए सहयोगी संगठनों द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द को तोड़ने और जहरीले संवाद की छुट जरुर दी गई.जिससे आम जनता निराश होती गई.
कांग्रेस के शुसान से निराश हताश जनता को विकल्प कि तलाश लोक सभा चुनाव में भाजपा के करीब ले गई वहीँ दिल्ली विधान सभा चुनाव में भाजपा के जूमला और नकारात्मक प्रचार आम आदमी पार्टी के करीब ला दिया. भाजपा ने जिम्मेदारी को जूमला बना दिया अब यही जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी पर है यदि इस ऐतिहासिक जीत के साथ मिले अवसर को ‘आप’ जनता के उम्मीदों को पूरा कर सफल बनाती है तो न केवल यह भारतीय राजनीति में नए आयाम को जोड़ेगा बल्कि दुनियां के सामने मजबूत लोकतंत्र की मिसाल कायम करेगा. आप ने भाजपा को दिल्ली में विपक्ष कि भूमिका देने की बात कह कर ऐतिहासिक जीत के बाद भी विनम्रता का परिचय दिया है यह संकेत लोकतंत्र के लिए शुभ है क्योंकि विपक्ष स्वास्थ्य लोकतन्त्र की रीढ़ होता है. भाजपा इस हार पर यकीनन मंथन करेगी लेकिन क्या भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी सहयोगी संगठनो के आपत्तिजनक टिप्पणी पर लगाम लगाने की कोशिश करेंगे ? ऐसा इस लिए के देश के भीतर ही ऐसी बातों से लोग नर्वस नहीं हैं बल्कि विदेशों में भी शंका कि स्थिति बनी हुई है.अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा भारत दौरे से लौट कर भारत में धार्मिक आज़ादी कि बात कहना कहीं न कहीं विदेशी निवेशकों के चिंता को ही व्यक्त करता है.