मीडिया कभी-कभार अपनी लक्ष्मण रेखा पार कर जाए तो उसे माफ़ कर देना चाहिए.
आशुतोष ने पटना पुस्तक मेला 2012 में ये बात जब कही थी,तब वो ibn7 के मैनेजिंग एडिटर हुआ करते थे. उन्होंने ये बात श्रोताओं की ओर से 2g स्पेक्ट्रम मामले में मीडिया की मिट्टी में मिल चुकी साख को लेकर किया था. आशुतोष ने बेहद ही बेशर्मी से तब मेनस्ट्रीम मीडिया का पक्ष लिया था.
अब 2015 में आशुतोष मीडिया धत्कर्म से मुक्त आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में से हैं.इनके मुखिया अरविन्द केजरीवाल जनता के बीच मीडिया ट्रायल का शगूफा लेकर हाजिर हैं.
अव्वल तो जनता के बीच मीडिया का ट्रायल कोई नहीं बात नहीं है. सोशल मीडिया पर जनता मीडिया और उनके एक-एक नुमाइंदे की ट्रायल कर रही है. ऐसे में केजरीवाल का ये शगूफा बासी भात को लेमन राइस बताकर परोसने से ज़्यादा कुछ नहीं.
वहीँ आशुतोष का जोर-शोर से इसका पक्ष लेना ये साबित करने की हठधर्मिता है कि मीडिया विमर्श एक ग्लोब है जो आशुतोष जैसे समाजसेवी की धूरी पर घूमती है..वो मैनेजिंग एडिटर की कुर्सी पर हों तब भी और नेता के तौर पर हों तब भी.
इन सबके बीच हम केजरीवाल साहब का शुक्रगुजार हैं कि जो बात और काम हम सालों से करते आएं, उनमे उन्हें मुद्दा दिखा..नहीं तो साल 2011-12 में तो उन्हीं मीडिया और संस्थानों से बेस्ट सिटीजन ऑफ़ द इयर का अवार्ड लिया जिसका अब वो राष्ट्रहित में ट्रायल चाहते हैं..#मीडियामंडी @FB