संदर्भ – भाजपा के चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री क्या सरकारी अवकाश लेते हैं?
सवाल तो यह भी है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को अपने स्वास्थ्य-सुधार अभियान से लेकर पार्टी प्रचार हेतु विभिन्न राज्यों के भ्रमण तक के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है या नहीं? अगर वे ऐसे निजी कामों के लिए कार्यालय से छुट्टी लेते रहे हैं तो अब तक उन्होंने कुल कितने दिनों का अवकाश ले रखा है? आखिर भारत में किसी मुख्यमंत्री को साल भर में कितने रोज की छुट्टी का प्रावधान है? ठीक उसी तरह जैसे भारत के प्रधानमंत्री के लिए भी कोई प्रावधान होगा! जहाँ तक मुझे याद है, मई 2003 में मनाली में छुट्टी पर गए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी ने कई जरूरी फाइल वहीँ से निपटाए थे और सुरक्षा मसले पर अहम् टेलिफोनिक वार्ता भी की थी। और भी प्रधानमंत्रियों के ऐसे किस्से हैं। वे लोग छुट्टी लेते थे इसलिए निकम्मे नहीं हो जाते। जो नहीं ले रहे, वे कामबहादुर हों, ऐसा भी नहीं है।
मेरी तो बस एक ही जिज्ञासा है। पार्टी के काम से या निजी काम से प्रधानमंत्री कार्यालय या मुख्यमंत्री कार्यालय से बाहर रहना अवकाश की श्रेणी में आता है या नहीं आता है? अगर नहीं आता तो इसकी क्या वजह है? अगर परंपरा में ऐसा ही होता रहा है तो देशप्रेमी कर्तव्यनिष्ठ प्रधानमंत्री फर्जीवाड़े की ऐसी परम्परा को कूड़ेदान में डालें। एक नई मिसाल कायम करें। इतिहास बदल जाएगा। वे वाकई अमर हो जाएंगे। सरकार की जिम्मेदारी संभाल रहे तमाम नेता पार्टी कार्य के लिए पहले अवकाश लें, तब कार्यालय से बाहर जाएँ। पार्टी और सरकार के कार्यों को अलग किया जाए। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री कार्यालय में उपस्थिति दिखा कर कोई निजी काम करने या अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने जाने को ईमानदारी तो नहीं ही कहते!