ओम थानवी
अम्बानी के नेटवर्क 18 चैनल समूह के लिए हुआ प्रधानमंत्री मोदी का सवा घंटे लम्बा इंटरव्यू पिछले एक हफ़्ते से हर रोज़ दिखाया जा रहा है। इसे नतमस्तक पत्रकारिता का श्रेष्ठ नमूना कहा जा सकता है। कसर अर्णब गोस्वामी ने भी न छोड़ी थी, पर राहुल जोशी तो जैसे बिछ-से गए। तीखा या जवाबी सवाल छोड़ दीजिए – हर सवाल मानो ‘पीएम’ को अपना वक्तव्य पेश करने के लिए संकेत भर देता था। अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, काला धन, न्यायपालिका, मीडिया – मोदी निर्बाध अपने वक्तव्य/संदेश परोसते रहे। काले धन पर सवाल करते वक़्त भाई ने विदेशों से धन लाने की बात को सकारात्मक अंदाज़ में भी न छुआ।
मैंने राहुल जोशी को टीवी पर कभी नहीं देखा। इंटरव्यू में भी ख़ुद बताते हैं कि यह उनका पहला इंटरव्यू है। पर इंटरव्यू में ही हम यह जानते हैं कि मोदीजी से उनका पुराना राब्ता है, जब वे कहते हैं मैं आपसे पिछले वर्षों में कई बार आपसे मिला हूँ, आप मुख्यमंत्री थे तब भी और प्रधानमंत्री बनने के बाद भी। यह राब्ता उस मुद्रा में भी झलकता है जब प्रधानमंत्री सारे इंटरव्यू दोनों पाँव ज़मीन पर धरे बात कर रहे हैं, राहुल टाँग पर टाँग रख कर। वे अम्बानी चैनल समूह के सबसे बड़े सम्पादक कब और कैसे बने पता नहीं, पर उनकी योग्यता का सार इंटरव्यू के अंत में प्रधानमंत्री द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र (आप तो आर्थिक विषयों के पत्रकार हैं, राजनीति पर अच्छी बात कर लेते हैं) को रोज़ प्रसारित किए जाने में निहित है! मज़ा यह है कि यह अनौपचारिक हिस्सा प्रधानमंत्री और भाजपा ने इंटरव्यू को अपने यूट्यूब प्रचार-इस्तेमाल में हटा दिया है!
(वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के एफबी वॉल से)