अल्का सक्सेना जब ऐसा कर सकतीं हैं
अल्का सक्सेना जैसी सालों से टेलीविजन के लिए काम करती रही मीडियाकर्मी को अगर सजेरियन के जरिए निर्धारित समय से पूर्व इसलिए बच्चे को जन्म देने में कुछ भी गलत,अमानवीय और गैरकानूनी नहीं लगता क्योंकि ऐसा होने से कान्हा पैदा होंगे तो क्या आप किसी पाखंड़ी, अंधविश्वासी, और जादू-टोने की दूकान चलानेवाले से उम्मीद करते हैं कि समाज से ये सब खत्म हो जाएगा ?
अल्का सक्सेना जैसी पुराने पुराने मीडियाकर्मी को न्यूजरुम में इस तरह की कथा बांचने और इस घोर अमानवीय, गैरकानूनी करतूतों को सत्यनारायण स्वामी की कथा बनाकर,रस ले-लेकर बांचने में भले ही आनंद आता हो लेकिन वो इस बात का अंदाजा नहीं लगा पा रही हैं, कि नए मीडियाकर्मियों के लिए क्या देकर जाएंगी.
न्यूजरुम डायवर्सिटी पर बात करते हुए अक्सर कुछ लोग इस बात पर उम्मीद जताते हैं कि अगर इसमें स्त्रियों की संख्या बढ़ती है तो स्त्रियों के प्रति संवेदनशीलता और न्याय का स्तर भी बढ़ेगा लेकिन अगर अल्का सक्सेना जैसे लोग ही हों तो क्या बढ़ सकेगा ? इनलोगों के पास तो पत्रकारिता की एक महान विरासत (हालांकि ऐसा मानने में मेरी असहमति है) लेकिन ये विरासत के नाम पर क्या देंगी, जरा सोचिए (जरा सोचिए पंचलाइन जी न्यूज से साभार)
क्या जी न्यूज पर कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ?
अगर जन्म के पूर्व लिंग परीक्षण कानूनी अपराध है तो जी न्यूज की अल्का सक्सेना आखिर क्यों ये लाइन बार-बार दोहरा रही थी कि – सबको चाहिए कान्हा ? क्या उस क्लिनिक पर तत्काल कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए और जी न्यूज से जवाब-सवाल तलब नहीं किए जाने चाहिए कि एक क्लिनिक और उसके डॉक्टर खुलेआम सजेरियन के जरिए निर्धारित समय से पूर्व डिलिवरी करा रहे हैं तो आपने इसे महिमामंडित करने के बजाय इस पर निगेटिव स्टोरी क्यों नहीं चलायी ?
आपने यहां के डॉक्टरों से एक बार भी ये क्यों नहीं पूछा कि इन्हें कैसे पता कि कान्हा यानी लड़का ही होगा ? इसका मतलब है कि इन्होंने पहले ही अल्ट्रसाउंड कराकर ये पता लगा लिया कि लड़का होगा..ये बात एक नेशनल चैनल से ग्लैमराइज करके हाइप क्रिएट करना किस हद तक सही है ?
मीडिया की नैतिकता और सामाजिक दायित्व पर अजगर जितनी लंबी-लंबी चर्चाएं करनेवाले हमारे मंहत इस पर कुछ बोलेंगे ? क्या बीइए,एनबीए इसकी भर्त्सना करते हुए प्रेस रिलीज जारी करेंगे या फिर इतनी बड़ी घोर अमानवीय और गैरकानूनी कदम पर यूं ही पर्दा डालकर चुप्प मार जाएंगे ?
bhai saheb
beech beech me aapki website dekhta rehta hu. Aaj ye janamashtmi wala write up dekha. Aap ne shayad report dhyan se nahi dekhi, usme tred to bataya tha par usey sehat ke liye sahi nahi bataya tha. Han aur maine report ke baad alka madam ke comment sune they. Unhone to is trend ko poori tareh galat bataya tha.
Agar aap niradhar comment likhenge to apke saath saath website ki vishwasneeyta par bhi ungli uthegi hi.
Vaise bhi koi mahila kewal apne dam pe kahi pahunchti hai, bina kisi connection ya lobbying ke to feudal soch wale hindi heartland ke logo ki takleef samah me aati hai.
Main to unhe 1995 se aaj tak ke jamane se dekh sun rahan hu. unki reporting se lekar anchoring tak me imandari aur commitment jhalakta hai.
aapko kuchh to sochna chahiye likhne se pehle.
political lobbying karke shikhar par baith gaye logo ke baare me likhiya himmat hai to.