अनिल अनुज
#पिछलग्गू पत्रकारिता – जी न्यूज पर स्टोरी चल रही थी. “मोदी कराएंगें कन्यादान.” ये स्टोरी बुलंदशहर के मंजीत कुमार द्वारा अपनी बहनों की शादी को लेकर मोदी को लिखे पत्र को लेकर चलाई जा रही थी. ये स्टोरी तब लगी जब मोदी की तरफ से मदद को लेकर आश्वासन मिला. मीडिया के लिए भी मुख्य ख़बर वही है जो पीएमओ से छन कर आए. वरना ना जाने कितने मंजीत घूम रहे हैं.
जी न्यूज ने इसपर विधिवत स्टोरी चलाई. पहले पैकेज तैयार कर फिर लाइव दिखाकर. जी का रिपोर्टर मंजीत के घर का पूरा जायजा ले रहा था. कपड़े, चप्पल से लेकर घर में रखे बिन ताले वाले संदूक तक. मंजीत का मंजर बयां हो रहा था गोया कि मीडिया की जान तो इसी में बसती हो. भारत के गांवों के गरीब तबके में. इससे पहले मीडिया के लिए गांव जैसे पीके का कोई गोला रहा हो. जहां का रिमोटवा गुम सा गया हो जो वाया मोदी मिला.
खैर सवाल कि इससे पहले कोई मंजीत क्यों नहीं मीडिया को दिखता? क्यों किसी मंजीत को ढुंढ़ने के लिए पीएमओ में किसी चिट्ठी की हाज़िरी होनी चाहिए. गांव की सारी स्थितियों को क्यों किसी सरकारी योजनाओं के बनने-बिगड़ने पर ही टटोलने की कवायद शुरू होती है? आप उनको मीडिया का हिस्सा जरूर बनाएं लेकिन उनकी लाचारी और बेचारगी को किसी राजनीति के लिए मत भुनाइए.
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