बर्बादी की राह पर ज़ी न्यूज

अज्ञात कुमार

ज़ी न्यूज़ दिन चौगुनी और रात दुगुनी गति से बर्बाद होने की तरफ बढ रहा हैं । ऐसा हालात बता रहें है । हर दिन नौकरी पर ऑफिस पहुंचने वाले कर्मचारी ओवर-टाइम कर घर निकलते हैं तो राहत की सांस लेते हुए कहते हैं । आज नौकरी बच गई । कुछ कोडवर्डस भी हैं जिसके जरिए खास लोग अपनी बात समझा देते है या फिर समझ लेते है । ‘’कुछ पुराने लोग’’ जुबान पर कुछ और सामने कुछ का अंदाज लेकर टाइम पास कर रहे हैं । कई बार टाई बांधकर , कई बार सी-ऑफ कर , कई बार गलत तरीके से भी हां में हां मिलाकर काम चला रहे हैं । न्यूज़रूम तो कहने को बस न्यूजरूम हैं । कब किसकी पतलून उतर जाए पता नहीं । पिछले दिनों जितने भी इस्तीफे हुए उसमे सभी लोगो की चैनल छोडने की वजह सनसनीखेज है । खास तौर महिला कर्मचारियों की । हां दूसरी तरफ कैमराचीफ से लेकर चैनल चीफ महिलाओ पर खासे मेहरबान होते हैं । खास तौर कुछ महिलाओं पर तो खास मेहरबानी है । वजह भी साफ है । ऑफिस के बाहर ये महिलाए काफी सक्रिय हैं । जिसका फायदा ऑफिस में मिलता हैं । वाट्स-अप पर सब तय हो जाता हैं । कब,कौन कहां कैसे कितने बजे मिलेगा । एक नजारा हाल ही में अनन्य सम्मान के दौरान देर रात देखने को मिला ।

चैनल के ज्यादा मामले खास लोग कैफे कॉफी डे में तय करते नजर आते है । किसे क्या करना हैं । कब करना हैं । अब ज़ी न्यूज़ का मतलब हैं मजबूरी । और मजबूरी का मतलब है नौकरी । कुछ लोग नौकरी के लिए तो कुछ लोग आगे बढने के लिए नौकरी का हर तरीके से यूज कर रहे हैं । एक्सपोज होने के बावजूद भी कुछ लोग एक्सपोज नहीं है । खास लोगो की गलती माफ । खास एकंर्स का नंबर सबसे उपर हैं । कुछ खास लोग एक दूसरे कुर्सी पर निगाहें लगाए बैठे हैं । काम करने वाले लोग अब ज़ी में बचे नहीं । कैमरा डिपार्टमेंट से जुडे खास से लेकर छोटे लोग भी खास जरिए से पैसा बनाने में लगे हैं । सालों से कई मामले चले आ रहे है । हर तरीके मालूम हैं । कुछ ने अपने धंधे फिलहाल बंद कर रखे हैं । कुछ ने समझौता कर लिया हैं ।

विदेशी दौरे पर एक महिला रिपोर्टर के साथ छेडछाड के बावजूद एक बडे कैमरा विशेषज्ञ साहब अपनी नौकरी बचाने में कामयाब रहे । महिला पर दबाव भी बनवाया गया था । इसी बात से इस साहेबान की ताकत का पता चल जाता हैं । हिम्मत ऐसी की कैंपस में कई बार महिला कर्मचारियों को चाकलेट भी दे देते हैं , किसी कोने में बातचीत भी दिख जाती हैं । किसी ने कुछ पूछ लिया तो गाली तो मुंह पर रखी हुई है । ऑफिस की गाडियों का गलत इस्तेमाल भी इन्हे बखूबी आता हैं । खास लोगो के लिए नियम तोडना इनका शौक है । कुछ बेचारों को रोजाना डरा दिया जाता हैं । वो भी संपादक का नाम लेकर ।

ज़ी न्यूज़ में चल रही इन बातो के चलते चैनल का मार्केट भी डाउन होने लगा हैं । कोई भी शख्स यहां अब कम से कम नौकरी के लिए नहीं आना चाहता । कुछ खास लोगो की आपसी मनमानी का आलम ये हैं कि कई कायदे कानून अपने हिसाब से चल रहे हैं । जिसका पता टॉप मैनजमेंट तक को या तो पता नहीं है या फिर उन तक खबर पहुंचने ही नहीं दी जा रही है । ये वो खास लोग हैं जो कैफे कॉफी डे में या फिर बाहर जाकर रणनीतियां तय करते हैं और उसके बाद ऑफिस के अंदर खेल शुरू होता हैं । एक और जानकारी अब ग्रुप सीआईओ भी मुंबई की जगह नोएडा में ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं । चैनल की पहचान जो कभी न्यूज चैनल की हुआ करती थी अब ये पहचान लगातार दिन चौगुनी रात दूनी गर्त में गूगल पेस् खबर के तौर बनती जा रहीं है ।

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