मनीष ठाकुर-
जब आपको लगने लगता है की सिस्टम आपके मुताबिक चलने लगा है तब भगवान से डरिए….
उन्हें देश के सबसे प्रभावशाली प्रदेश के वो मुख्यमंत्री प्रणाम कर रहे है जिनकी लोकप्रियता अभी चरम पर है। राष्ट्रवाद के नाम पर पत्रकारिता का धंधा करने वाले सुर्दशन चैनल के मालिक और संपादक सुरेश चौहान ट्वीटर पर ये फोटो डाल कर यही संदेश दे रहे थे। लेकिन प्रदेश का माहौल खराब करने के आरोप में इस संपादक को गिरफ्तार कर योगी सरकार ने साबित किया कि प्रदेश में क़ानून का राज़ है और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं।
अखिलेश सरकार ने मुज़फ्फरनगर दंगा से पहले आज़म खान के दवाब में ना आकर हत्यारे दो मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार कर लिया होता तो वहां दंगा कभी नहीं होता। यह सिर्फ मैं नहीं कह रहा मीडिया रिपोर्ट में साफ हुआ कि अपनी बहन को छेड़ने वाले की पिटाई करने जब दो युवक गए तो उनकी हत्या कर दी गई। हत्यारे मुस्लिम थे, सो मामला हिन्दू-मुस्लिम से जुड़ गया। सपा सरकार मुस्लिम वोट बैंक की बुनियाद पर खड़ी थी लिहाज़ा आज़म खान ने वहाँ अपनी चलाई। बैकग्राउंड की बात इसलिए क्योंकि यदि योगी सरकार चौहान को छोड़ देती तो दंगा तय था क्योंकि वो किसी इमाम के फतवे के खिलाफ मस्जिद में गंगाजल चढ़ाने की बेहूदे ज़िद पर थे।लेकिन सपा सरकार ने लगातार चरम तक तुष्टिकरण की नीति को नहीं पहुँचाया होता तो आज यूपी के किस्मत में कोई योगी कैसे होता?
सुदर्शन के संपादक की गिरफ़्तारी एक सन्देश है। राष्ट्रवाद के नाम पर पत्रकारिता का धंधा करते हुए कम्बल के नीचे घी पीने वाले वो तमाम पत्रकार ,संपादक,जो फिरौती के आरोपी है या चौहान की तरह ही कई मामलों में नामजद है उन्हें सचेत होना चाहिए। अब देखिये चैहान बलात्कार समेत कई मामले में नामजद है लेकिन सोच रहे थे कि वो राष्ट्रवाद के नाम पर गुंडागर्दी का लाइसेंस ले लेगें। उस पर ज्यादातर आरोप कांग्रेस काल से है लेकिन जेल जाने के दिन तब आये जब उन्हें लगा की अब तो अच्छे दिन आ गए है।
ऐसा अक्सर होता है जब आपको लगता है कि अब तो सब कुछ आपके मुताबिक होगा। सरकार के ज्यादातर मंत्री आपके मित्र है। अमित शाह जैसे लोग आप ही की सलाह से पोटी जाने का वक्त तय करते है । ये गुमान जब चरम पर होता है तो तबाही वहाँ से शुरू होकर काल कोठरी तक जाता है। वक्त से डरिये। भगवान मत बनिए।
Suresh chouhanke mere bhi paise mar kar baitha hai bhai.