फॉरवर्ड प्रेस ,नई दिल्ली ,15जनवरी .नेशनल स्कूल ऑॅफ ड्रामा, नई दिल्ली में 14 जनवरी को अवसर था रंगकर्म की एक त्रैमासिक पत्रिका के विमोचन का। समारोह में मौजूद थे अरविंद गौड़, पत्रिका के संपादक राजेश चंद, मोहल्ला लाइव के संस्थापक अविनाश दास, रंगकर्मी विनीत और वंदना।
शाम के करीब छह बजे विमोचन समारोह विचार समारोह में बदल गया और फिर विचार समारोह आपसी झगड़े में तब्दील हो गया। वंदना ने अरविंद गौड़ के विरूद्ध जैसे ही बोलने की कोशिश की रंगकर्मी विनीत ने वंदना को पहले तो धक्का देने की कोशिश की और फिर बात को दबाने की कोशिश करने लगे।
विनीत यहां पर भी नहीं रूके और फॉरवर्ड प्रेस के प्रतिनिधि जितेन्द्र कुमार ज्योति को धमकाते हुए कहा कि आपको कौन यहां आने बोला, अपने कैमरे को बंद कर। आपसे बाहर में हम बात करेंगे ,देख लेंगे ।
आखिर क्या था वह मुददा जो वंदना सबके सामने कहना चाह रही थी और विनीत इसे रोकने की कोशिश कर रहे थे ? इस मामले पर हमने अरविंद गौड़ से दूरभाष से संपर्क करके सच्चाई जानने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि यह कोई मामला नहीं है और इसे तूल देने की कोशिश न करे।
बहरहाल, सवाल यह है कि क्या नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के परिसर में सबकुछ ठीक नहीं है या इस संस्था में भी सब कुछ ठीक नहीं। इस मामले पर एनएसडी की निदेशिका का डा अनुराधा कपूर से किसी भी तरह की बात नहीं हो सकी सिवाय कुछ एनएसडी कार्यालय कर्मचारियों के दूरभाष वार्तालाप के।
मसलन, क्या था वह मुददा जो वंदना कहना चाह रही थी और इसे क्यों सबके सामने आने से रोक दिया गया, यह जानना अहम होगा ? विनित के द्वारा पहले तो किसी महिला के साथ गलत व्यवहार करना फिर मीडियाकर्मी को धमकाना क्या यह उचित है.