नई दिल्ली। 10 अगस्त। खबर की दुनिया से जुड़ने वालों के लिए कुछ बुनियादी बातें जरूरी है। इसमें सबसे जरूरी तो ये हैं कि उसमें देश और दुनिया की समस्यों की बुनियादी समझ होनी चाहिए। दूसरा उसे ये पता होना चाहिए कि वो जो लिखने जा रहा है उसका सकारात्मक या नकारात्मक असर क्या होगा। उसमें संवेदना होनी चाहिए। ये बातें वरिष्ठ पत्रकार कमर वहीद नकवी ने टीवी पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह की सामयिक प्रकाशन द्धारा प्रकाशित किताब ‘विजय चौक लाइव’ के विमोचन के दौरान कहीं। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने ये भी कहाकि टीवी पत्रकारिता काफी हद तक जनभावनाओं को ध्यान में रखकर की जा रही है। जिसकी वजह से कई बार हम अतिरेक का शिकार हो रहे हैं। जनभावनाओं को नजरअंदाज करके का ‘रिस्क’ ये है कि दर्शकों से नाता टूट सकता है।
कार्यक्रम के दौरान विजय विद्रोही ने पत्रकारिता के स्वरूप और चुनौतियों पर परिचर्चा करते हुए मीडिया की ताकत को लेकर बातचीत की। सामयिक प्रकाशन द्धारा प्रकाशित इस उपन्यास के बारे में राहुल देव ने कहा है कि कि दरअसल पत्रकारिता पहले से बेहतर हुई है। पहले से निडर हुई है और उसमें नवीनता भी आई है। बेहतर स्थिति तब होगी जब मीडिया घराने के मालिक और विवेकशील होंगे। सिर्फ पत्रकारों या संपादकों के विवेकशील होने से कुछ नहीं होगा। इस मौके पर आशुतोष ने कहाकि इस उपन्यास ने टीवी की दुनिया के कई नकारात्मक पहलुओं को सामने रखा है। लेकिन यही नकारात्मकता इस उपन्यास की खूबसूरती भी है। उपन्यास के लेखक शिवेंद्र कुमार सिंह ने कहाकि उपन्यास का मकसद टीवी जगत की पोल खोलना कतई नहीं है, बल्कि इसका मकसद उन बातों और उद्देश्यों को सामने लाना है जिसके लिए मीडिया बना है।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता के फर्क पर बातचीत की। टीवी की खबरों के फ़ॉर्मेट में लिखे गए अपनी तरह के पहले उपन्यास को लेकर महेश भारद्धाज ने कहाकि इस उपन्यास को एक बार शुरू किया गया तो फिर रूकते नहीं बनता है, क्योंकि इसका फॉर्मेट अपने आप में ना सिर्फ अनोखा है बल्कि ये हिंदी साहित्य का इस फॉर्मेट में लिखा गया पहला उपन्यास है। कार्यक्रम में मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रियदर्शन, वर्तिका नंदा समेत तमाम पत्रकार और साहित्यकार मौजूद थे।