11 मार्च को कांग्रेस और भाजपा की परीक्षा नहीं ज्योतिषी बेजानदारुवाला की भी परीक्षा की घडी है। मार्च 2015 को बेजान दारुवाला को उत्तराखंड के खास गेस्ट हाउस में बतौर अतिथि ठहराया गया था । सुरेंद्र अग्रवाल जैसे कागजी नेता और एक दो पत्रकार पूरे आवभगत में लगे थे।
और फिर बडे सुनियोजित ढंग से अखबार के पहले पेज पर चार कालम का उनका बयान आया कि हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद से कोई नहीं हटा सकता।अगले मुख्यमंत्री भी हरीश रावत होंगे। स्थानीय संपादक पहाड की जनता को बेवकूफ समझ रहा था। और बेजान दारूवाला भी भटक गए।
हरीश रावत मुख्यमंत्री रहे या नहीं रहे यह अलग बात। उनकी सरकार का बनना या न बनना उत्तराखंड की जनता की सोच। वे हमारे नेता हैं जीत और पराजय अलग चीज है। लेकिन एक अखबार में एक ज्योतिषी के राजनीतिक इस्तेमाल की निंदनीय कोशिश थी। अब जब ज्योतिषी राजअतिथि की तरह सुख ले रहे थे , उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी थी। लोग त्राही त्राही कर रहे थे। स्थानीय संपादक अपने जुगाड और पेंतरे साध रहा था। उत्राखंड के ऐसे कठिन समय में बेशर्मी के साथ ज्योतिष की राजनीतिक टिप्पणी प्रकाशित की गई थी।
उत्तराखंड को इनसब हालातों ने नष्ट किया । और जिस दिन उत्तराखंड के लोगों को मतदान करना था, उस दिन केवल हरीश रावत का बडा इंटरव्यू उस पेज पर छापा गया जिसमें हरिद्वार की खबरें लगी थी। वह यहां हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्याशी थे। इसलिए मुख्यमंत्री के बहाने पर बहुत चालाकी के साथ हरिद्वार पेज पर उनका इंटरव्यू छापा गया था। क्या यह ठीक चुनाव के दिन मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश नहीं थी। पूरे चुनाव में उजाला की जगह अंधेरा फैलता रहा। जरा अखबार की खबरों पर गौर करे — ा1- खूब चला राहुल का जादू, 2- मोदी की रैली के बाद राहुल ने बदला माहौल 3- जनता का प्यार ही हरदा टैक्स 5 – अकेले हरीश रावत का चार कालम का साक्षात्कार ( इसमें साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति का नाम नही है संभव है डेस्क स्टोरी हो )
। लोटन कबूतर स्थानीय संपादक ने मुख्यमंत्री हरीश रावत की चापलूसी में कोई कमी कसर नहीं छोडी और पत्रकारिता के मूल्यों को इस देवभूमि मे तार तार करने की कोशिश की।
वेद उनियाल,वरिष्ठ पत्रकार –