यूपी में भाजपा के सुशासन के बारे में पीएम मोदी के सभी दावे झूठे हैं।कम से कम कल्याण सिंह सरकार के काम-काज की ही मतदाताओं को नए सिरे समीक्षा कर लेनी चाहिए,इससे पता चल जाएगा कि कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री के तौर पर क्या गुल खिलाए थे।
कल्याण सिंह सरकार का सबसे बड़ा अपराध था कि उसने समूचे राज्य को साम्प्रदायिकता के जहर में डुबो दिया,बाबरी मसिद का विध्वंस होेने दिया,जबकि उन्होंने सुप्रीमकोर्ट को वचन दिया था कि उनकी सरकार बाबरी मसजिद की हर हालत में रक्षा करेगी।अपने शपथपत्र का वे पालन नहीं कर पाए और सरेआम समूची ठोस ऐतिहासिक मसजिद संघियों ने गिरा दी।कानून का इस तरह का उल्लंघन भारत के इतिहास में विरल घटना है,इसके लिए कल्याण सिंह दोषी पाए गए उनको एक दिन की सजा भी दी गयी।
कल्याण सिंह सरकार के बारे में उनके ही मंत्रीमंडल के सहयोगी जगदम्बिका पाल ने उस समय जो कहा वह पढ़ें- “Of late, Kalyan Singh had turned more and more communal in his behvaviour, and the turning point came with his objectionable statements on the Ayodhya issue, that was followed by riots in a few places. We realised that enough was enough and that we could not have got along with the BJP any longer.”
भाजपा के मुख्यमंत्री की इस तरह की कम्युनल हरकतों के बाद भी यूपी में भाजपा को आजमाना सरासर मूर्खता होगी और यूपी के लिए ही नहीं देश के लिए आत्मघाती कदम होगा।
पीएम नरेन्द्र मोदी जवाब दें विगत कल्याण सिंह की भाजपा सरकार यूपी में अपना कार्यकाल पूरा क्यों नहीं कर पाई ,किसने रोका था वायदे पूरे करने से,क्यों गिर गयी यूपी में कल्याण सिंह सरकार। भाजपा के साथ यूपी वालों का अनुभव बेहद खराब रहा है,भाजपा ने सत्ता में आते ही अंधाधुंध लूट की थी और समूचे राज्य में साम्प्रदायिक आंधी पैदा की।पिछले अनुभव को ध्यान में रखते हुए भाजपा को हर हालत में हराया जाना चाहिए,यूपी को हर कीमत पर साम्प्रदायिक सद्भाव चाहिए,जबकि भाजपा को हर हालत में साम्प्रदायिक हिंसाचार चाहिए।यही वजह है मोदीजी अपने किसी भी भाषण में साम्प्रदायिक सद्भाव को लेकर बोले तक नहीं हैं,यहां तक कि भाजपा के चुनाव घोषणापत्र में साम्प्रदायिक सद्भाव मुद्दा ही नहीं है।ऐसे में भाजपा के हाथों सरकार सौंपना असल में शैतान के हाथों सत्ता सौंपना होगा।
आजादी के बाद भारत में हजारों साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं इनमें से अधिकांश दंगों में बटुक संघ और उनके समानधर्मा संगठनों की विध्वंसक भूमिका रही है,सवाल यह है विगत 68सालों में इन दंगों के कारण देश की कितनी आर्थिक और सामाजिक क्षति हुई है ,अफसोस की बात यह है कि दंगाईयों को वोट देते समय हम कभी यह नहीं सोचते कि हम शैतानों को वोट दे रहे हैं.कम से कम दंगाईयों को तो जनता वोट न दे।भाजपा विभिन्न मौकों पर दंगों में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल रही है,उसे वोट देने का मतलब है सामाजिक जीवन को अशांत और असुरक्षित करना।मोदी को वोट देने के बाद भारत ाज जितना असुरक्षित और अशांत है उतना पहले कभी नहीं था,यदि यूपी में भाजपा को वोट पड़ता है तो यूपीवालों के अमन-चैन की जिंदगी खत्म समझो।
प्रो.जगदीश्वर चतुर्वेदी-