टीवी पत्रकारों को जोकर बनाने वालों में उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों?

टीवी पत्रकारों को जोकर बनाने वालों में उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों?

दिलीप मंडल,पूर्व प्रबंध संपादक,मैनेजिंग एडिटर

संदर्भउदय शंकर,कमर वहीद नकवी और रजत शर्मा ने टीवी पत्रकारों को जोकर बना दिया – दिलीप मंडल

उदय शंकर,कमर वहीद नकवी और रजत शर्मा ने टीवी पत्रकारों को जोकर बना दिया - दिलीप मंडल
उदय शंकर,कमर वहीद नकवी और रजत शर्मा ने टीवी पत्रकारों को जोकर बना दिया – दिलीप मंडल

टीवी पत्रकारों को जोकर किसने बनाया-2
उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों? हिंदी न्यूज चैनलों के मसखरा युग में प्रवेश के तीन नायकों की मेरी इस शिनाख्त से कुछ लोग खफा है, तो कुछ पूछ रहे हैं कि यही तीन क्यों? दीपक चौरसिया, आशुतोष, विनोद कापड़ी जैसे लोग भी क्यों नहीं.
जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं मेरा स्टेटस पढ़कर, उनके लिए मुझे कुछ नहीं कहना. उनसे निवेदन है कि कमेंट बॉक्स में जाकर मेरा स्टेटस फिर से पढ़ लें.
और जो जानना चाहते हैं कि “उदय शंकर, कमर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों” उन्हें शायद मालूम नहीं कि हिंदी के न्यूज चेनलों ने जब “नागिन का बदला युग” या “महंगी वेश्या की खोज युग” में प्रवेश किया तो ये तीन लोग देश के सबसे लोकप्रिय तीन चैनलों के लीडर थे. TRP लाने की मजबूरी थी. सही बात है. लोग न देखें, तो चैनल क्यों चलाना.
लेकिन TRP लाने के लिए उन्होंने जो रास्ता चुना, उसकी वजह से आज एक बच्चा भी टीवी पत्रकारों को जोकर और मदारी के रूप में देख कर हंसता है.

टीवी पत्रकारों को जोकर बनाने वालों में उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों?
टीवी पत्रकारों को जोकर बनाने वालों में उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों?

दीपक चौरसिया, आशुतोष, विनोद कापड़ी जैसे लोग इसलिए नहीं क्योंकि वे स्क्रीन पर जरूर रहे लेकिन उस दौर में इनकी इतनी हैसियत नहीं थी कि कटेंट को निर्णायक रुप से प्रभावित करें.
पिछले कमेंट से एक हिस्सा रेफरेंस के लिए कॉपी पेस्ट कर रहा हूं:
“एस पी सिंह ने गणेश को दूध पिलाने की खबर का मजाक उड़ाकर और जूता रिपेयर करने वाले तिपाए को दूध पिलाकर भारतीय टीवी न्यूज इतिहास के सबसे यादगार क्षण को जीने का जज्बा दिखाया था. सिखाया कि अंधविश्वास के खंडन की भी TRP हो सकती है. लेकिन मसखरा युग में अंधविश्वास फैलाकर TRP लेने की कोई भी कोशिश छोड़ी नहीं गई.”
“टीवी पर इंग्लिश न्यूज में भी तमाशा कम नहीं है. लेकिन वह तमाशा आम तौर पर समाचारों के इर्द गिर्द है. हिंदी न्यूज में तमाशा महत्वपूर्ण है. खबर की जरूरत नहीं है. न्यूज चैनल कई बार लंबे समय न्यूज के बगैर चले और चलाए गए.”
“किसी ने तो यह सब किया है.”

टीवी पत्रकारों को जोकर किसने बनाया-3

टीवी पत्रकारों को जोकर बनाने वालों में उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों?
टीवी पत्रकारों को जोकर बनाने वालों में उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ही क्यों?

वे खुद अंधविश्वासी नहीं हैं, लेकिन आपको या आपमें से ज्यादातर को अंधविश्वासी मानते हैं!!
उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी और रजत शर्मा ने एक खास कालखंड में हिंदी टेलीविजन समाचार उद्योग को अंधविश्वास और मसखरा युग में पहुंचा दिया, लेकिन ये तीनों खुद आधुनिक विचारों के मॉडर्न लोग हैं. इसलिए समस्या इनकी निजी विचारधारा को लेकर नहीं है. बल्कि TRP पाने के लिए बनी उनकी इस सोच को लेकर है कि हिंदी चैनलों का दर्शक मूर्ख और अंधविश्वासी होता है.
इसे मनोरंजन उद्योग की भाषा में “Lowest common denominator” कहते हैं. इसकी परिभाषा यह है- the large number of people in society who will accept low-quality products and entertainment या appealing to as many people at once as possible.
लेकिन इसका नतीजा यह भी हुआ कि आज एक बच्चा भी टीवी पत्रकारों को जोकर और मदारी के रूप में देख कर हंसता है.

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