आज मैं न्यूज़ रूम को बहुत मिस कर रहा हूँ -विनोद कापड़ी

विनोद कापड़ी
विनोद कापड़ी

विनोद कापड़ी

ताबूत में दफ़्न एक बारह साल का मासूम ।

ताबूत में दफ़्न एक बारह साल का मासूम ।
ताबूत में दफ़्न एक बारह साल का मासूम ।

6 घंटे से , जब से ये तस्वीर देख रहा हूँ , कभी अपने बेटों का ख़याल आता है तो कभी उस पिता का ,जिनके बेटे की ये तस्वीर है ।
और हर ख़याल के साथ के साथ इस बच्चे के क़रीब ख़ुद को पाता हूँ और अब तो लगने लगा है कि हाँ ये मेरा ही बेटा है, मेरा ही बच्चा है ।
मैं सोच सोच कर परेशान हूँ कि जब पेशावर से सैकड़ों किलोमीटर दूर आज भारत के हर घर में इतना मातम है तो वहाँ पेशावर में क्या हो रहा होगा ?

घर पहुँचते ही बस्ता एक तरफ़ पटकने वाले बच्चे अब कभी दोबारा अपने घर ही नहीं आएँगे ।
घर पहुँचते ही मम्मा भूख लगी है का शोर मचाने वाले बच्चे अब कभी खाना नहीं माँगेंगे ।
घर पहुँचते ही डोरेमाॅन और पोकेमाॅन देखने वाले बच्चे अब कभी टीवी नहीं खोलेंगे । टीवी तो आज उनकी ही मौत की ख़बर पर रो रहा है ।

घर पहुँचते ही अपने खेल-खिलौनों से धमाचौकड़ी मचाने वाले वो सारे बच्चे अब हमेशा के लिए चुप हो गए हैं ।
इस तस्वीर में हम सबका बच्चा है । मेरा बच्चा है । इसका बच्चा है । उसका बच्चा है । आपका बच्चा है । इंसान का बच्चा है । मानवता का बच्चा है । हमारे वजूद का बच्चा है । हमारे भविष्य का बच्चा है । पूरी दुनिया का बच्चा है । इस ब्रह्मांड का बच्चा है ।

ये बच्चा अभी भी कहीं सिसक रहा है । कहीं रो रहा है और चिल्ला रहा है -मुझे बचा लो अंकल ,मुझे बचा लो आंटी, मुझे बचा लो पापा ,मुझे बचा लो मम्मी !!!

क्या हमें ये चीख़ सुनाई दे रही है ?
क्या पूरी दुनिया को ये चीत्कार सुनाई दे रही है ?
अगर अब भी हम कुछ सुन और समझ नहीं पा रहे तो ये तय है कि इस दुनिया और मानवता को कोई भविष्य नहीं है ।
आज पेशावर में शहनाज़ , सलीम , असलम रोए , कल भारत में राहुल ,नेहा ,पुलकित रोएँगे और परसों न्यूयार्क -लंदन में रिचर्ड ,माइकल, एंजेलिना चिल्लाएँगे ।
बच्चे मानवता का भविष्य हैं । वो कल के माता-पिता हैं । इस दुनिया के माता-पिता हैं ।
हमने अपना भविषय नहीं बचाया, हमने अपना भविष्य नहीं बनाया तो हमारा अपना कोई भविष्य नही ।
PS – और झूठ नहीं बोलूँगा। आज मैं न्यूज़ रूम को बहुत मिस कर रहा हूँ।

@fb

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