विश्व पुस्तक मेले का चौथा दिन सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के खिलाफ जंग लड़ने वाले स्व. डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर के नाम रहा। हॉल न. 12 में आयोजित डॉ दाभोलकर की स्मृति में ‘सुकारात से दाभोलकर वाया तुकाराम’ नाटक की प्रस्तुति की गयी। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा प्रस्तुत इस नाटक में डॉ.दाभोलकर के सामाजिक संघर्ष को दर्शाया गया है। सत्य व प्रेम का संदेश देते इस नाटक का निर्देशन विजय पंवार ने किया है। यह नाटक मराठी के जाने-माने नाटककार अतुल पेठे के मार्गदर्शन में अब तक 250 से ज्यादा जगहों पर प्रस्तुत किया जा चुका है।
गौरतलब है कि इसी महीने डॉ. नरेन्द्र दाभोलर की पुस्तक अंधविश्वास उन्मूलन विचार, अंधविश्वास उन्मूलन सिद्धांत व अंधविश्वास उन्मूलन व्यवहार तीन भागों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होने जा रही है। इसका हिन्दी अनुवाद डॉ. सुनील कुमार लवटे ने किया है। इस मौके पर इस किताब के बारे में चर्चा करते हुए डॉ.सुनील लवटे ने बताया कि यह पुस्तक अंधविश्वास व जादू-टोना के खिलाफ डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर की वैज्ञानिक सोच को प्रदर्शित करती है। हम डॉ. दाभोलकर के अंधश्रद्धा के खिलाफ किए गए संघर्ष को आगे ले जाना चाहते हैं, इसी संदर्भ में हम इस नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं।
गौरतलब है कि डॉ.सुनील लवटे ने अपनी आत्मकथा ‘नेम नॉट नोन’ से काफी प्रसिद्धि प्राप्त की है। यह किताब राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित है। इस किताब में डॉ.सुनील लवटे ने अपने जीवन-संघर्ष की गाथा को बयां किया है। गौरतलब है कि डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या 20 अगस्त 2013 को कर दी गई थी।