अज्ञात कुमार
हमेशा से ही चर्चा में रहने वाले उत्तराखण्ड से प्रसारित नेटवर्क 10 चैनल की एक बार फिर हुई मट्टी पलीद। अपने कर्मचारियों की सितम्बर माह की तनख्वाह न दे पाने के चलते एक बार फिर शर्मसार हो रहा है चैनल। इस बार कहानी इतनी गम्भीर हो चली है कि चैनल को लीज यानी किराये पर दे देने के बाद अब चैनल के नऐ और पुराने हकदार यानी की मालिकों में इस बात को लेकर खींच तान चल रही है कि आखिर सितम्बर माह में काम करने के बाद छोड़ गए पाँच से छह कर्मचारियों की तनख्वाह आखिर कौन दे. डेढ़ साल मालिक रहे दो पार्टनर पवार और गर्ग या अक्टूबर में ओवर टेक करने वाला मालिक देवेन्द्र सिंह नेगी।
14 अक्टूबर 2013 की शाम नए मालिक ने जैसे ही चैनल को ओवर टैक किया तो सबसे पहले उसने चैनल के पूर्व एडिटर अशोक पांडे को बाहर का रास्ता दिखाया। बताया गया कि ये सब पुराने मालिक के कहे अनुसार हो रहा है।
खैर जो भी हो, चावल के साथ घुन तो पिस्ता ही है। हुआ भी ऐसा ही। एक कर्मचारी को अशोक पांडे ने अपने किसी खास से हुई कहा सुनी के चलते चैनल में आने से रोक दिया था। उस प्रक्ररण के ठीक सात दिन बाद पांडे का ही पत्ता साफ हो गाया। गलती उस कर्मचारी की नहीं थी पर वह पंडित गिरी का शिकार हो गया।
चलो जो भी हो, काम करने वाले को उसका हक तो मिलना ही चाहिए, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। उन पाँच छह लोगों, जिन की तनख्वाह आज भी नेटवर्क टेन में अटकी है, उसमें से एक व्यक्ति ने अब ये तक धमकी दे डाली है कि या तो पुराना मालिक या फिर नया, चाहे जो हो सके, उसकी तनख्वाह दे नहीं तो वह चैनल के बाहर या फिर पुराने मालिक के दफतर भारत कन्सट्ररकशन के बाहर अपने आप को आग के हवाले कर देगा।
ये सच है कि आत्मदाह की धमकी दी गई है, लेकिन इसके साथ 31 दिसम्बर तक का समय भी दिया गया है। न जाने क्यों नैटवर्क टैक के नए मालिक, जिसका इंडिया टाइम्स ग्रुप है, उसने भी उन पुराने कर्मचारियों की तनख्वाह और उन की काबिलियत को दरकिनार किया।
आशा है नैटवर्क टैन फलेगा, फूल कर फटेगा नाहीं
(नेटवर्क 10 का एक पत्रकार)