विनीत कुमार-
सुप्रीत कौर को लेकर जो मीडिया इतना संवेदनशील जान पड़ रहा है, उनकी प्रोफेशनलिज्म को सिलेब्रेट कर रहा है, आप उनसे पूछिए तो सही कि उस वक्त उनका प्रोफेशनलिज्म कहां चला गया था जब अपने ही चैनल की मीडियाकर्मी की संदेहास्पद मौत का खबर को लेकर आठ घंटे तक मौन व्रत धारण कर लिया. हेडलाइन्स टुडे की सौम्या विश्वनाथन तो याद होगी न आपको ?
जिस न्यूज एंकर ने मैनेजमेंट की कारस्तानी का हिस्सा बनने से इन्कार कर दिया और आत्महत्या की तरफ जाने के लिए चैनल ने मजबूर किया, कहां गया था चैनल का प्रोफेशनलिज्म के प्रति प्यार.
आपको एक नहीं, ऐसे सैंकडों उदाहरण मिलेंगे जब मीडिया आपको जिस मुद्दे को लेकर हायपर इमोशनल करता है, उसी मुद्दे पर खुद धत्तकर्म कर रहा होता है.
सुप्रीत के प्रति गहरा सम्मान और संवेदना रखते हुए आप न्यूजरुम की क्रूरता पर नजर डालिए, आप भावुक होने के बजाय डर से कांप उठेंगे.
आपका मीडिया यदि सच में संवेदनशील होता तो स्थिति ये नहीं होती कि कैमरे के सामने कोई आत्महत्या कर लेता, हत्या करनेवाला व्यक्ति बेखौफ बना रहता. सब जानते हैं, मीडिया संवेदना से नहीं, अपनी न्यूनतम मानवता के दम पर चल रहा है.