अखिलेश कुमार
छात्रावास और ट्रांसपोर्ट की समस्याओं को लेकर जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्रों की भूख हड़ताल आज चौथे दिन भी जारी रही। छात्रों का दावा है कि जब तक उनके इन समस्याओं का सामाधान नहीं हो जाता तब तक भूख हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल पर बैठे ये छात्र जेएनयू प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। इनकी मांगों में दामोदर हॉस्टल का विस्तार, शिप्रा-2 की मांग प्रमुख रुप से शामिल है। छात्रसंघ अध्यक्ष आशुतोष कहते हैं कि यहां उपलब्ध 17 हॉस्टलों में करीब 4,500 छात्रों के रहने का इंतजाम है, जबकि छात्रों की संख्या 8 हजार है। ऐसे में हजारों छात्र हॉस्टल न मिलने के कारण कैंपस से बाहर रहने को मजबूर हैं, जोकि छात्रों के साथ अन्याय है।
जेएनयू में ‘कंसर्न स्टूडेंट’ से जुड़े और इतिहास के शोधार्थी अभय कुमार कहते हैं कि विश्वविद्यालय में छात्रावास की समस्या काफी लंबे समय से है। वे इसे राजनितिक साजिश बताते हैं। बकौल अभय, इसका मुख्य कारण नवउदारवादी आर्थिक व्यवस्था, लोक कल्याणकारी नीतियों में कटौती यानि स्टेट की दमनकारी नीतियों का ही फलसफा है।
जेएनएयू में ‘जीएसकैस’ की रिप्रजेंटेटिव सोनम गोयल कहती हैं कि छात्रावास की विकराल समस्या की मुख्य वजह प्रशासनिक विफलता है। इस बार हमलोग एकसाथ डटकर नवउदारवादी प्रशासनिक नीतियों के खिलाफ मिलकर लड़ रहे हैं। हालांकि सोनम कहती हैं कि इससे पहले राजनीतिक रुप से एकजूटता की कमी थी जो अब नहीं होगा। हमलोग साथ मिलकर लड़ेंगे। एआईएसएफ से जुड़े कन्हैया भी इन्हों बातों को दोहराते हैं। इस अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल में सभी लेफ्ट ओरिएंटेड पार्टी शामिल हैं। जिसमें एआईएसएफ के सुरेश, अमृता और अपराजिता भूख हड़ताल पर हैं। युनियन को लीड कर रही भाकपा (माले) की छात्र इकाई आइसा के आशुतोष, प्रतिम और रिया है। डीएसएफ की एश्वर्या और शुभांशु भी शामिल हैं। सीपीएम की छात्र इकाई एसएफआई शामिल है। छात्रावास की मांग को लेकर पहले भी छात्र युनियन अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जा चुके हैं। छात्रसंघ अध्यक्ष आशुतोष कहते हैं कि पिछले मई महीना में भी हमलोगो ने छात्रावास की मांग को लेकर व्यापक प्रदर्शन किया था। ध्यान रहे 2014 का छात्रसंघ चुनाव हॉस्टल समस्या के इर्द-गिर्द लड़ा गया था। अब नए शैक्षेणिक सत्र आने में अब कुछ ही दिन शेष रह गया है इसके बावजूद पिछले शैक्षणिक वर्ष के हजारों छात्र बेर सराय, मुनीरका, किशनगढ़ और कटवारिया सराय में रहने के लिए विवश हैं। गंभीर सवाल है कि नए शैक्षणिक सत्र में भी प्रशासनिक उदासीनता के कारण छात्रावास अधर में लटकता दिखाई पड़ रहा है। दरअसल छात्रावास न मलने से हजारों छात्र कैंपस की सभी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो पाते हैं.
गौरतलब है कि पिछले बुधवार से ही छात्र युनियन ने हॉस्टल की मांग को तेज कर दिया था छात्रों ने न केवल कक्षाओं का बॉयकाट किया बल्कि में प्रशासनिक भवन के बाहर छात्रसंघ के नेतृत्व में प्रदर्शन भी किया था। इस सिलसिले में जेएनयू छात्रसंघ के पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल कुलपति से भी मिला। आशुतोष के मुताबिक छात्रों की परेशानी और उससे संबंधित मांगपत्र कुलपति को सौंपा गया है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। आशुतोष कहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन हॉस्टल समस्या के निदान में हो रहे विलंब के पीछे की वजह डीडीए व पर्यावरण विभाग की ओर से सहमति न मिलने का कारण बताते हैं। अब सवाल है कि देश में सामाजिक न्याय, देश-दूनिया के तमाम मुद्दों पर क्रांतिकारी पहल और लोकतांत्रिक गतिविधियों से सराबोर जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्र, छात्रावास की समुचित व्यवस्था से कब तक मरहूम होते रहेंगे।
(लेखक पत्रकार हैं)