सुजीत ठमके
श्वेता सिंह बेशक बेहतर एंकर और रिपोर्टर है। लेकिन थोड़ा उतावलापन ।
श्वेता सिंह…… आज तक की प्राइम टाइम एंकर। जी हां…. आज तक न्यूज़ चैनल। खबरों की दुनिया का पुराना ब्रांड। न्यूज़ चैनलों का बादशाह। वर्ष २००० के बाद बाजार में कई बढे कॉर्पोरेट घरानो ने न्यूज़ चैनल लांच किये किन्तु आज तक को धोबीपछाड़ देना सभी मीडिया हाउसेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हुई। श्वेता सिंह इसी पुराने ब्रांड से जुडी पत्रकार है। श्वेता सिंह को वरिष्ठ पत्रकार कहना तो उचित नहीं होगा। हां इतना जरूर कह सकते हैं कि मीडिया जगत में श्वेता सिंह ने अपनी अलग पहचान बनाई है । उनके सोशल मीडिया पर फेन्स फॉलोवर्स है। देश दुनिया में लाखो दर्शक श्वेता सिंह की एंकरिंग और रिपोर्टिंग को देखना पसंद करते है। श्वेता के ट्वीट को लगातार फॉलो भी करते है। श्वेता सिंह के पास नूर है,टीवी पत्रकारिता की भाषा है, खबरों को परोसने की बेहतरीन, अद्भुत कला है और यही श्वेता सिंह की यूएसपी है।
श्वेता सिंह जिस बिहार राज्य से नाता रखती है वो कई मायनो में महत्पूर्ण है। नालंदा, तक्षशिला जैसे पुराने विश्वविद्यालय ने समूचे दुनिया को ज्ञान सागर का मूलमंत्र दिया। बिहार में कई राजा महाराजाओ का शासन भी हुआ। आज़ादी के वक्त कई आंदोलनों की नीव यही से रखी गई थी। बिहार ने देश को स्वतंत्र सेनानी दिए, बेहतर पत्रकार दिए, उपन्यासकार, वैज्ञानिक दिए। और जेपी जैसे महान जननायक भी दिए। जो स्वर्गीय प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ डट कर खड़े हुए। जेपी आंदोलन ने समाजवाद की ऐसी लकीर खींची जो शायद देश की हजारो पीढ़िया सदियों याद रखेगी। सजोये रखेगी। जी हां। … बिहार …… यानी जे पी जैसे जननायक की भूमि। और इसी भूमि से ताल्लुक रखती है आज तक की श्वेता सिंह।
श्वेता ने बिहार से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्थान टाइम्स जैसे अंग्रेजी अखबार से पत्रकारिता की शुरुआत की। दरअसल श्वेता सिह ने पत्रकारिता की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की। श्वेता ने जे पी आंदोलन का महान पर्व तो नहीं देखा। किन्तु सामाजिक बदलाव, बिहार की राजनीति उठापठक, लालू का जंगल राज और कई खुनी संघर्ष देखा है। ज़ी न्यूज़ , सहारा जैसे बड़े ब्रांड के जरिये दिल्ली से टीवी पत्रकारिता में कदम रखा। बेशक श्वेता खेल के खबरे कवर करने और परोसने में मास्टर है। वर्ल्ड कप, २०-२० वर्ल्ड कप, टेस्ट मॅचेस, आईपीएल, फूटबाल, ओलंपिक गेम्स, ओडीआई, आदि खेल जगत से जुडी खबरों में बेहतर पकड़ रखती है। किन्तु अन्य खबरों का श्वेता को अल्पज्ञान साफ़ झलकता है । जब शुद्ध भाव से किसी की आलोचना होती है तब वो दवा का काम करती है। ऐसी आलोचना पत्रकारों को जमीन पर लाती है। चेहरा भी दिखाती है।
श्वेता लम्बे अरसे से पत्रकारिता में है बावजूद राजनीति, करेंट अफेयर्स, विदेशनीति, आतकवाद, नक्सलवाद, भारत-पाक सम्बन्ध, पाकिस्तान तख्तापलट या किसी राज्य की राजनीति आदि गंभीर, संवेदनशील विषयो पर इतनी परिपक्व समझ नहीं है। खबरे परोसना एक अलग बात है। लेकिन जिसके लाखो फेन्स फॉलोवर्स है, टीवी के दर्शक है उसको हर खबरों मूल ज्ञान रहना जरुरी है। श्वेता सिंह का ९: ०० बजे का प्राइम टाइम शो हो, किसी विषय पर लाइव कवरेज, किसी नेता से बातचीत, टॉक शो, लाइव डिबेट, इंटरव्यू हो श्वेता का अल्प ज्ञान एंकरिंग और रिपोर्टिंग में साफ़ साफ़ झलकता है।
किसी पार्टी के प्रवक्ता हो, राजनेता, मंत्री, एक्सपर्ट, रक्षा विशेषज्ञा, किसी क्षेत्र से जुड़े महानुभाव श्वेता सवाल ऐसा दागती है मानो श्वेता डिसीजन मेकर भी भूमिका में है । पाक आर्मी द्वारा सीजफायर पर भारतीय रक्षा विशषज्ञों पर ऐसा सवाल दागती है जैसे श्वेता सिंह के पास न्यूक्लियर बम का बटन होता तो वो दबाकर दो मिनट में पाक को तबाह कर देती। यह महज टीवी पत्रकारिता का उतावलापन है। शुक्र है कि श्वेता सिंह ने कभी शिवसेना के संस्थापक प्रमुख स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे या मनसे चीफ राज ठाकरे का स्पेशल इंटरव्यू नहीं लिया। चुकी सेना प्रमुख स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे या मनसे चीफ राज ठाकरे ऐसे ही रिपोर्टर को स्पेशल इंटरव्यू देते थे या देते है जिनको देश के साथ साथ राज्य की राजनीति और अन्य विषय की भी बेहतर समझ है। यह बहुत कम मीडियाकर्मी को पता है की सेना प्रमुख स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे या मनसे चीफ राज ठाकरे जिस किसी नेटवर्क को इंटरव्यू देते है उस नेटवर्क के रिपोर्टर का ट्रैक रिकॉर्ड और निजी जिंदगी से जुडी बात भी इकठ्ठा करते है। २०१४ के लोकसभा चुनाव में कद्दावर वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी एवं राजदीप सरदेसाईं के पत्रकारिता को राज ठाकरे ने इसीलिए कठघरे में खड़ा किया था क्योकि दोनों की निजी जिंदगी से जुडी बाते भी मनसे चीफ ने इकट्ठ की थी। आज तक की श्वेता सिंह बेशक बेहतर एंकर और रिपोर्टर है। लेकिन थोड़ा उतावलापन जो ऑनस्क्रीन पर साफ़ साफ़ झलकता है।
सुजीत ठमके
पुणे- 411002
(यह लेखक की अपनी निजी राय है.)
Ha Ha Ha……Shweta Singh ko waha pe gyan jhadne ke liye nahi rakha gaya hai…..usse jis kaam ke liye rakha gaya hai wo kaam wo duniya mein sab se aacha karti hai…..apko bas bakwaas karna hai to aap karte raho kuch bhi…..na apke bolne se na apke kehne se koi fark padega….