एबीपी न्यूज़ के कार्यक्रम ‘घोषणा पत्र’ में हाल ही में नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लिया गया. इंटरव्यू एक पैनल ने लिया जिसमें एबीपी न्यूज़ के संपादक शाजी ज़मा समेत तीन सदस्य थे. उसी इंटरव्यू पर कुछ टिप्पणियाँ:
नदीम एस.अख्तर
अरसे बाद एबीपी न्यूज के मुखिया शाजी जमां साहब को टीवी के परदे पर इंटरव्यू करते देखा. नरेंद्र मोदी का यह इंटरव्यू देखने लायक है.
स्वाति अर्जुन
मुझे ABP News के तीन सदस्यीय editors panel द्वारा नरेंद्र मोदी का लिया गया इंटरव्यू उनके अब तक के सभी इंटरव्यू से बेहतर लगा. पिछले सभी इंटरव्यू (India tv, ANI etc) के बनिस्पत ये इंटरव्यू ज्य़ादा inquisitive था, कम से कम उनसे दो टूक सवाल तो पूछा ही जा रहा था……और वे भी ज्य़ादा तेवर दिखाने की स्थिती में नहीं थे मतलब चक्रव्यूह create करने की अच्छी कोशिश थी…..मोदी अगर इस चक्रव्यूह को भेद नहीं पा रहे थे तो इससे निकल पाने में भी असमर्थ थे…..जिसका नतीजा ये हुआ कि हमें एक शांत, हंसने-बोलने वाले, संविधान और मीडिया पसंद मोदी का नया रूप देखने को मिला जो बेशक उनके पब्लिक ईमेज से अलग था. (ABP group editor Shazi Zaman needs a special mention, as he was just terrific, he should come more often on tv.
ओम थानवी,संपादक,जनसत्ता
नरेंद्र मोदी अचानक बहुत विनम्र नहीं हो गए? कई टीवी कार्यक्रमों में देख यही महसूस हुआ है। जैसे ‘स्टेट्समैन’ की तरह प्रकट होना चाह रहे हों। सबको साथ लेना है, सबका विकास करना है। मुस्कुराने-हंसने भी लगे। तीखे सवालों पर बिदकते भी नहीं (हालाँकि सीधा जवाब अब भी नहीं देते)। गिरिराज-तोगड़िया को हड़का रहे हैं। एक आदर्श भी रट लिया है: संविधान माईबाप है। कल घोषणापत्र (एबीपी न्यूज) में साफ कहा कि तेज-तर्रार रूप तो चुनावी होता है, देश संविधान के अनुरूप ही चलेगा। अरे भाई, फिर राममंदिर, धारा 370, समान कानून की बातें कर क्यों करते हो? या संविधान ही बदलने का इरादा है? अपनी गरज से बदलने का रास्ता तो इंदिरा गांधी दिखा गई हैं!
अनिल मलिक
ABP news पर प्रसारित घोषणापत्र कार्यक्रम वास्तव में पहले के कार्यक्रमों से भिन्न था। कार्यक्रम का आयोजन बड़े हाल के बजाये बंद कमरे मे था जिसमे तीन चार नितांत अजनबी चेहरे जिन्हें इससे पूर्व कभी कंही नहीं देखा प्रश्नकर्ता के रूप मै प्रश्न पूछ रहे थे। हमारे परम आदरणीय ,प्रातः वन्दनीय एवं सायं स्मरणीय श्री श्री मोदी जी बड़े सकूँ से जवाब दे रहे थे। मजा आ गया। सच मे अच्छे दिन आने वाले है। आने वाले है ना?
जगदीश्वर चतुर्वेदी
शाजी ज़मा ने एबीपी न्यूज पर कल मोदी को जिस शालीनता के उधेडा है वह टीवी पत्रकारिता के लिए सीखने लायक है।शाजी ज़मा के सवाल और पॉज़ ने मोदी के मन में दहशत पैदा कर रखी थी। मोदी कईबार परेशान भी हुए।
मोदी अपनी सभाओं में जो आरोप लगाते हैं वे आरोप लगाने के लिए आरोप लगाते हैं, वे प्रमाण के आधार पर आरोप नहीं लगाते। वे बस आरोप बोलभर देते हैं, अब जनता तय करे कि आरोप सही हैं या गलत हैं। मोदी ने कहा-
“मैंने ये कहां कहा कि भई मेरे पर आरोप लगे वो गलत हैं और सही हैं या मैं आरोप लगाता हूं वो गलत हैं और सही हैं उसके लिए तो देश है, देखता है.. देश देखेगा उसमें क्या है.”
ये आरोप देश देखेगा , यह कैसी भाषा है ?यह गैर- जिम्मेदार नेता की भाषा है।