अनिल पांडेय,वरिष्ठ पत्रकार –
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कवरेज के अध्ययन से पता चलता है कि सेकुलर पत्रकार पूरी तरह से Biased थे। वे चुनाव कवरेज की आड़ में भाजपा के विरोध में काम कर रहे थे। उनकी पूरी पत्रकारिता भाजपा के विरोध में माहौल बनाने में लगी हुई थी। ताकि भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके। एक तरह से वे “सुपारी पत्रकारिता” कर रहे थे।
जो साथी मेरी बात से असहमत हों वे केवल इतना भर कर लें कि देश के कुछ बड़े और नामी सेकुलर पत्रकारों की FB वाल पर कुछ समय गुजार ले और थोड़ा गूगल में उनके आर्टिकल खंगाल लें। दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। मेरा तो सुझाव है कि किसी पत्रकारिता संस्थान या फिर विश्वविद्यालय को सुपारी पत्रकारिता के इस नए ट्रेंड पर शोध कराना चाहिए।