नदीम एस अख्तर
“ये अजीब शहर हैं यहाँ गालियों का भी बाजार है”
करण जौहर, अर्जुन कपूर, रणवीर सिंह, राजीव मसंद, दीपिका पादुकोण, सोनाक्षी सिन्हा, आलिया भट्ट और बॉलिवड के कई बड़े स्टार्स वहां semi porn laugh का मजा ले रहे थे. और भाषा ऐसी कि सुनिएगा तो गली-मुहल्ले के -लफंगे- भी शर्मा जाएं कि ये -महान हस्तियां- उनसे कितने आगे हैं. वे बेचारे नाहक एक-दूसरे को मवाली का तमगा दिए फिर रहे थे.
थोड़ा सा जो देखा, उसमें पाया कि सब एक-दूसरे को खुलकर गाली दे रहे थे और एंजॉय कर रहे थे. किसी सार्वजनिक मंच से गालियों और अभद्र भाषा की ऐसी स्वीकार्यता मैंने भारतीय जनमानस में पहली बार देखी. पता चला कि लोग वहां हजारों के टिकट लेकर गाली खाने, गाली सुनने, गाली देने और गालियों का मजा लेने आए थे.
कमाल हो गया. सनी लियोन को अपनाने के बाद ये देश अब AIB के इस भौंडे कार्यक्रम को भी गले से लगा रहा है. जब सनी लियोन को पहली दफा -महान फिल्मकार- बॉलिवुड में ब्रेक दे रहे थे और भारत के दर्शकों को अमेरिकन पॉर्न इंडस्ट्री के एक स्टार से रूबरू करवा रहे थे तब मैं एक अखबार में था. उस खबर पे मैंने अपने अखबार के सीईओ से कहा था कि महेश भट्ट का ये कदम भारतीय समाज में एक नए युग की शुरुआत होगी. आप देख लेना कि सनी लियोन बॉलिवुड में कामयाब भी होगी और अगर थोड़ी बहुत एक्टिंग कर ली तो कई लड़कियों के लिए रोल मॉडल भी बन जाएंगी.
आज ये पता नहीं कि सनी लियोन कितनी लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं (ऐसा कोई सर्वे मेरे पास नहीं है या हुआ नहीं है) लेकिन बॉलिवुड में उनकी इंट्री कामयाब रही है. पॉर्न की कोई इंडस्ट्री भी होती है, उससे पैसा भी कमाया जाता है, इस बात से भारत के छोटे गांव-कस्बे के लोगों को रूबरू कराने के लिए ये देश महेश भट्ट का कर्जदार रहेगा.
अब ऑल इंडिया बक*** उसी का विस्तार है. इस AIB का नाम भी ऐसा है कि फेसबुक पर लिखा नहीं जा रहा. (ये मेरी सीमा है, आपकी अलग हो सकती है, आप चाहें तो लाउडस्पीकर पर इस नाम को पूरे मुहल्ले को सुना सकते हैं). पर गाली खाने और गाली देने के एक महामंच का जब इसने आयोजन किया तो बॉलिवुड के बड़े सितारे भी उसका मजा लेने पहुंचे. पैसे देकर पब्लिक पहुंची, सो अलग. और सबने मिलकर गालियों और semi porn के इस महाउत्सव का भरपूर आनंद उठाया.
मामला सुर्खियों में आने के बाद अब महाराष्ट्र सरकार इसकी जांच कर रही है लेकिन moral policing की बात से वह इनकार करती है. मैं कहता हूं कि महाराष्ट्र सरकार इतना डर क्यों रही है ??!! अगर किसी को सार्वजनिक मंच से एक-दूसरे को गाली देने से रोकना मोरल पुलिसिंग है तो ये पुलिसिंग मुझे मंजूर है. मैं इसके समर्थन में हूं. अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब ये नहीं कि आप सबको मां-बहन की गालियां देने लगो. औरतों के जिस्म के अंगों का नाम लेकर उनका मजाक बनाओ और फिर हंसो और फिर कहो कि ये सब तो Fu**** चलता है. यही तो हमारी और हमारे शो की USP है. अगर यही आपकी नैतिकता है, यही progressive होने का स्केल है, यही freedom of speech and expression का पैमाना है, यही modern होने का पैरामीटर है तो मैं पुरापाषाण काल में जीना पसंद करूंगा. मुझे आप जैसा मॉडर्न नहीं बनना.
मैं चांद और मंगल पर बस्ती बसाने वाला मॉडर्न बनना चाहता हूं. मैं कैंसर और इबोला बीमारियों की दवा खोजने वाला मॉडर्न बनना चाहता हूं. मैं तकनीक के माध्यम से आम लोगों के जीवन की कठिनाइयों को दूर करने वाला मॉडर्न बनना चाहता हूं. मैं आधुनिक विज्ञान की मदद से कला-साहित्य को संरक्षित करने तथा उसे और अधिक लोग पढ़-जान सकें, भागीदारी कर सकें, वो वाला मॉडर्न बनना चाहता हूं. मैं वो वाला मॉडर्न बनना चाहता हूं जिसमें बेटा, जब मां-बाप से बात करे तो सम्मान-शर्म-हया और प्यार उसकी आंख से छलके. मैं वो वाला मॉडर्न बनना चाहता हूं जिसमें सारे मुहल्ले वाले मुझे नई कार खरीदने पर जब बधाई देने पहुंचें तो कहें कि बेटा, और तरक्की करो, मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है और दोस्त-यार-सहेलियां छेड़कर कहें कि अरे वाह !!! राजू बन गया जेंटलमैन !!!
माफ करना दोस्तों !!! मैं fu**** as** ho*** वाला मॉडर्न नहीं बनना चाहता. ऐसे लोगों को मैंं सीधे तड़ीपार कर देना चाहता हूं क्योंकि कल वो अपने बड़े-बुजुर्ग और बच्चों से भी इसी जबान में बात करेंगे. और अगर नंगई ही करनी है तो अपने घर के अंदर महदूद रहिए. उसका सार्वजनिक प्रदर्शन करेंगे तो मुझे ये बर्दाश्त नहीं.
इस मामले में मैें जरा भी liberal नहीं हैं.
( नोट – जो लोग करण जौहर और AIB की इस हरकत के समर्थन में हैं वे तत्काल मुझे unfriend कर सकते हैं. दिमागी रूप से बीमार लोगों का साथ मुझे गंवारा नहीं)
(लेखक अध्यापक हैं और अग्रणी मीडिया संस्थान आईआईएमसी में अध्यापन कार्य कर रहे हैं)