साहित्य मंथन सृजन पुरस्कार समारोह 15 नवंबर को

हैदराबाद, 9 नवंबर 2014 (प्रेस विज्ञप्ति).

साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था ‘साहित्य मंथन’ द्वारा स्थापित ‘साहित्य मंथन सृजन पुरस्कार’ प्रदान किए जाने के संदर्भ में आगामी 15 नवंबर (शनिवार) को अपराह्न 4 बजे दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के खैरताबाद स्थित परिसर में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस समारोह में अरुणाचल प्रदेश की युवा कथाकार डॉ. जोराम यालाम नाबाम को उनके 2013 में प्रकाशित कहानी संग्रह ‘साक्षी है पीपल’ के लिए प्रथम ‘साहित्य मंथन सृजन पुरस्कार’ प्रदान किया जाएगा.

पुरस्कार के संस्थापक डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने बताया कि पुरस्कृत लेखिका डॉ. जोराम यालाम नाबाम ने अपनी कहानियों के माध्यम से अरुणाचल प्रदेश की बहु-जनजातीय संस्कृति के अंकन के साथ साथ वहाँ के स्त्री समाज की दशा का जो प्रामाणिक चित्रण किया है वह हिंदी साहित्य में अपने प्रकार की पहली घटना है. उन्होंने यह भी बताया कि पुरस्कृत लेखिका स्वयं जनजातीय समुदाय से संबद्ध हैं और उन्होंने विभिन्न जनजातियों की भाषा और संस्कृति का गहन अध्ययन किया है.

पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. एम. वेंकटेश्वर करेंगे. बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ तेलुगु साहित्यकार प्रो. एन. गोपि लेखिका को पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रुपए की सम्मान राशि, प्रशस्ति पत्र, शाल और स्मृति चिह्न समर्पित करेंगे. समारोह का उद्घाटन विख्यात कला समीक्षक पद्मश्री जगदीश मित्तल करेंगे तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के अधिष्ठाता प्रो. देवराज विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे.

समारोह की व्यवस्था समिति की आज संपन्न बैठक में यह भी तय किया गया कि इस अवसर पर पुरस्कृत लेखिका का हैदराबाद की विभिन्न हिंदी संस्थाओं की ओर से सारस्वत सम्मान भी किया जाएगा. समारोह की व्यवस्था समिति में गुरुदयाल अग्रवाल, ज्योति नारायण, डॉ. मंजु शर्मा, डॉ. बी. बालाजी, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, डॉ. सय्यद मासूम रज़ा एवं वी. कृष्णा राव उपस्थित रहें. समारोह संयोजक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने समस्त साहित्य प्रेमियों से इस कार्यक्रम में पधारने की अपील की है.

1 COMMENT

  1. साहित्य मन्थन की स्थापना और सृजन सम्मान की घोषणा के लिए मैँ आप को बधाई देता हूँ । अरुणाचल प्रदेश की लेखिका को यह पुरस्कार दिया जाना सर्वथा स्वागतयोग्य है । आशा है कि यह पुरस्कार हर वर्ष किसी लेखक या लेखिका यों दिया जाएगा ।

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