तमिलनाडु में एक आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा कुर्सी मांगने पर सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता को जेल भेजने के मामले से आक्रोशित उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आज लखनऊ के हज़रतगंज जीपीओ के निकट महात्मा गांधी पार्क में ‘कुर्सी’ के साथ’ धरना देकर देश भर के सूचना आयोगों समेत सभी न्यायिक और अर्द्ध-न्यायिक प्रतिष्ठानों की सुनवाइयों में सभी पक्षों को कुर्सी पर बैठाकर सुनवाई करने की मांग के साथ देश के राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को 11 सूत्रीय मांगो से सम्बंधित एक ज्ञापन प्रेषित किया .
मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक संजय शर्मा ने बताया कि सूचना आयुक्तों द्वारा की जा रही सुनवाइयों में सूचना मांगने वालों को खड़ा रहने को बाध्य करना सूचना मांगने वालों के मानवाधिकारों का हनन है .
सूचना आयुक्तों को सामंतवादी मानसिकता का शिकार बताते हुए संजय ने कहा कि चाटुकारिता के चलते उच्च पद पा गए सूचना आयुक्त शायद यह भूल रहे हैं कि देश में लोकशाही है जिसमे जनता राजा है और सूचना आयुक्त जनता के सेवक मात्र हैं .
कार्यकर्ताओं ने धरने में लोकतंत्र समर्थक नारे लगाते हुए सूचना आयुक्तों के विरुद्ध लंबित शिकायतों का निपटारा तीन माह में करने, सूचना आयुक्तों के पद-ग्रहण से पूर्व उनको आरटीआई एक्ट और मानवाधिकारों सम्बन्धी प्रशिक्षण अनिवार्य करने, सूचना मांगने बालों के खिलाफ शिकायत आने पर उनके लंबित आरटीआई प्रकरणों को भी जांचों में शामिल करने समेत 11सूत्रीय मांगो से सम्बंधित एक ज्ञापन राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया .
संजय ने बताया कि वे देश के सभी प्रदेशों के आरटीआई और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं और यदि 3 माह में उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो इस सम्बन्ध में शीघ्र ही देशव्यापी आंदोलन चलाया जायेगा .