ज़बरदस्ती में भाई लोग एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय के पीछे पड़ गए हैं। अरे भई, हाँ। रवीश कुमार। अब खानदानी नाम रवीश पांडेय है तो क्या हुआ? सेक्युलर हैं। सर्वहारा समाज के प्रतिनिधि हैं। रवीश कुमार ही सूट करता है। अब क्या हो गया जो इन्ही रवीश पांडेय, माफ़ कीजिएगा रवीश कुमार के बड़े भाई ब्रजेश पांडेय बलात्कार के मुकदमे में हैं। पीड़ित भी कौन? एक दलित लड़की! वो भी नाबालिग?? ज़िला मोतिहारी। बिहार। सेक्स रैकेट चलाने का मामला अलग से है!!!! पर इसमें रवीश कुमार का करें? अब ठीक है, माना कि आसाराम से लेकर स्वामी नित्यानन्द तक ऐसे ही मामलों पर बड़ा शोर मचाए रहे वो। गर्दा झाड़े पड़े थे। तब पीड़ित के साथ खड़े थे। रोज़ ही जलते सवालों की बौछार। स्टूडियो न हुआ था। आग का मैदान हो गया था तब। पर भूलो मत। भाई की बात है। आपस में भले लड़ लें। बाहर सब एक हैं। जब बाहर से विपत्ति आई तो युधिष्ठिर ने कहा था- “वयम पंचादि शतकम।” हम एक सौ पांच हैं। कौरव-पांडव सब एक। अब धर्मराज युधिष्ठिर की भी न सुने रवीश!!!
एक बात और सुन लो। रवीश कुमार का भाई तो बलात्कारी हो ही नही सकता। ऊपरवाले की फैक्ट्री में कुछ लोगों के चूतड़ों पर नैतिकता का सर्टिफिकेट चिपकाकर। बाकायदा लाल स्याही से ठप्पा मारकर। फिर उन्हें नीचे भेजा जाता है। ऐसे हैं रवीश कुमार। अगर वो अपने भाई के खिलाफ कुछ भी लिख बोल नही रहे हैं तो सीधा मतलब यही है कि भाई दूध का धुला होगा। वो भी अमूल ब्रांड। फुल क्रीम मिल्क का। तुम समझे कि नही? ये पुलिस। ये थाना। ये कानून। वो दलित लड़की। वो महिला पुलिस इंस्पेक्टर जिसने जांच की और इनके भाई का नाम शामिल पाया। सब के सब बिके हुए हैं। सब झूठे हैं। फ्रॉड हैं। ब्रजेश पांडेय से बड़ा बेदाग़ कौन होगा? उन पर रवीश पांडेय, अरे माफ़ कीजियेगा, रवीश कुमार का हाथ है। मेरी नज़र में ये भाजपाइयों या फिर संघ की साज़िश हो सकती है। Yes, रवीश कुमार के भाई कांग्रेसी नेता हैं। पिछला चुनाव मोतिहारी से लड़े थे। हार गए। सोनिया जी भी आई थीं। रवीश कुमार के भाई हैं। बड़े भाई। जलवा है। किसी ने राजनीतिक साज़िश कर दी होगी!!
अब ये कौन सी बात हुई कि बिहार में तो नितीश कुमार की पुलिस है? भाई साज़िश मत करो रवीश कुमार के खिलाफ। कौन हैं ये नितीश कुमार। बोलो। कौन हैं? अबे, ये बीजेपी के एजेंट हैं। और क्या! रवीश कुमार के ख़िलाफ़ जो भी एक लफ्ज़ बोलेगा, वो बीजेपी का ही एजेंट होगा। जाओ, निकलवाए लो उस दलित लड़की की भी जनम कुंडली। बाप नही तो दादा। दादा नही तो परदादा। या उनके भी दादे। कोई न कोई बीजेपी से सटा रहा होगा। अब बीजेपी तब नही थी तो क्या हुआ!! तुम निकलवाए लो कुंडली। सावरकर और गोलवलकर के साथ कभी घूमे होंगें। इनके दादे-परदादे।
ये वही कम्युनल लोग हैं जो कहते हैं कि रवीश कुमार 2जी मामले में फंसी एनडीटीवी से मिली मोटी तनख्वाह डकारकर रोज़य ईमानदारी का प्रवचन देते हैं। अरे भइया, एनडीटीवी में 2जी मामले के चार्जशीटेड आरोपी टी.आनदकृष्णन ने कई सौ करोड़ का निवेश कर रखा है!!! तो क्या हुआ? कौन सी बिजली गिर गई? रवीश कुमार को इसमें से क्या मिला जा रहा है। हर महीने 5-6 लाख की तनख्वाहै तो मिल रही होगी। और का? अब अगर बगैर रिजर्व बैंक की इजाज़त से। चोरी छिपे। विदेश में बनी अपनी सहयोगी कम्पनियों मे कई सौ करोड़ की रकम डालकर। एनडीटीवी बैठ गई है। तो रवीश कुमार को पर्दे पर ईमानदारी की बात करने से काहे रोक रहे हो? अब वो अगर कुछ और नाही कर पाए रहे हैं। परिवार चलाना है। सो नौकरी भी नाहि छोड़ पाए रहे हैं। तो का ईमानदारी की बात भी न करें। उन्हें कुछ तो करने दो भाई लोगों।
बड़ी गाड़ी। बड़ा बंगला। मोतिहारी में अलग। पटना में अलग। ग़ाज़ियाबाद और कहां कहां!! तो का हुआ? अब ये सोचो कि एयरकंडिशन ज़िन्दगी में रहकर भी कोई। टीवी के पर्दे पर सही। मेहनतकश मजदूर के पसीने के बारे में सोच लेता है। मामूली बात है???
तो भइया, हम तो इस लड़ाई में रवीश पांडेय, उफ़ ये ज़ुबान, फिर से माफ़ी, रवीश कुमार के साथ हैं। आप भी साथ आओ। चलो नया नारा गढ़ते हैं-
“ब्रजेश पांडेय को बचाना है
और
उस दलित लड़की को
झूठा साबित करके दिखाना है।”
अब ये कौन साला आ गया है जो तेज़ आवाज़ में लाउडस्पीकर पर बल्ली सिंह चीमा की कविता बजाए जा रहा है? रवीश कुमार को सुनाए जा रहा है-
“तय करो किस और हो तुम
आदमी के पक्ष में हो
या फिर कि आदमखोर हो तुम।”
भगाओ…मारो….साले को… चुप कराओ… यहां नैतिकता का इकलौता ठेकेदार पत्रकार जीवित है!!! वो भी नही देखा जा रहा है इनसे!!!!
(लेखक के फेसबुक वॉल से साभार)
मतभेद होना चाहिए और किसी भी समाज में मतभेद ना हो तो समझिए वो समाज मर चुका है लेकिन मतभेद मनभेद में बदल जाये तो समझिए वो समाज अपना नैतिक मूल्य खो रहा है और फिर उसके बाद ही वो समाज का पतन शुरु हो जाता है,,,जी है बात रवीश कुमार कि कर रहे हैं वही रवीश कुमार जो अक्सर बीजेपी और नरेन्द्र मोदी कि खिचाई करते रहते हैं,,, सही है आप इनके विचार से असहमत हो लेकिन असहमति का ये मतलब नही तो नही होनी चाहिए कि उनके चरित्र पर सवाल खड़े करे उन्हें गाली दे उन्हें देशद्रोही तक कह दे,,,,और इससे भी बात नही बने तो उनका खामियाजा उनके परिवार को भुगतना पड़ जाये अंधेरगर्दी वाली स्थिति है क्या ,,,,,,,,,,,,,,,,रवीश कुमार से हमारे रिश्ते हैं जगजाहिर है मैंने उसे कभी छुपाया भी नही ,,,,,
कल कांग्रेस के ही एक नेता जो हमारे फेसबूक से जुड़े हुए हैं प्रवीण मिश्रा एनएसयूआई के बड़े लीडर है उन्होने मेरे चेट बांक्स में रवीश कुमार के भाई सैक्स का धंधा कराते है इससे जुड़ी कई लिंक और टाइम्स आंफ इंडिया अखबार का लिंक भेजा और मुझसे कहा ये खबर क्यों नही चल रही है क्यों मीडिया वाले खामोस हैं मुझे बहुत गुस्सा आया मैंने कहां टाइम्स आंफ इंडिया क्या है कोई साक्ष्य हो तो दिजिए देखिए कैसे खबर चलती है खैर उसके बाद वो भाग खड़े हुए,,,,,
ब्रजेश पांडेय को मैं तो ना जानता हूं और ना ही पहले कभी इनसे मुलाकात हुई है मैंने सीधे रवीश जी को फोन किया क्या ये सही है उन्होनें बस इतना ही कहा मेरी क्या गलती है जो मेेरे साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है भाई दोषी है तो कोर्ट सजा दे बातचीत के दौरान उदास और निराश थे,,,,,,, खैर मैंने सोचा पहले सच्चाई जान लिया जाये
22-12-2016 को एसीएसटी थाने में एफआईआर दर्ज होता है जिसमें निखिल प्रियदर्शी उनके पिता और भाई पर छेड़छाड़ करने और पिता और भाई से शिकायत करने पर हरिजन कह कर गाली देने से सम्बन्धित एफआईएर दर्ज करायी गयी इस एफआईआर में कही भी रेफ करने कि बात नही कही गयी है..इसमें ब्रजेश पांडेय के नाम का जिक्र भी नही है,,,
24-12-2016 को पीड़िता का बयान कोर्ट में होता है धारा 164 के तहत इसमें पीड़िता ने शादी का झासा देकर रेप करने का आरोप निखिल प्रियदर्शी पर लगाती है ये बयान जज साहब को बंद कमरे में दी है इस बयान में भी ब्रेजश पांडेय का कही भी जिक्र नही है,,,,दो दिन में ही छेड़छाड़ रेफ में बदल गया
30–12–2016 को यह केस सीआईडी ने अपने जिम्मे ले लिया इससे पहले पीड़िता ने पुलिस के सामने घटना क्रम को लेकर कई बार बयान दिया लेकिन उसमें भी ब्रजेश पांडेय का नाम नही बतायी।।
31-12-2016 से सीआईडी अपने तरीके से अनुसंधान करना शुरु किया और इसके जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया जांच के क्रम में पीड़िता ने एक माह बाद बतायी कि एक पार्टी में ब्रेजश पांडेय मिले थे उन्होने मेरे साथ छेड़छाड़ किया ,,,फेसबूक पर देखा तो ये निखिल के फ्रेंड लिस्ट में हैं इनको लेकर मैं अपने दोस्तों से चर्चा किया तो कहा कि ये सब लगता है सैक्स रकैट चलाता है इन सबों से सावधान रहो,,,,पुलिस डायरी में एक गवाह सामने आता है मृणाल जिसकी दो बार गवाही हुई है पहली बार उन्होनें ब्रेजश पांडेय के बारे में कुछ नही बताया निखिल का अवारागर्दी कि चर्चा खुब किया है उसके एक सप्ताह बाद फिर उसकी गवाही हुई और इस बार उसके गवाही का वीडियोग्राफी भी हुआ जिसमें इन्होने कहा कि एक दिन निखिल और पीड़िता आयी थी निखिल ने पीड़िता को कोल्डडिग्स पिलाया और उसके बाद वह बेहोश होने लगी उस दिन निखिल के साथ ब्रजेश पांडेय भी मौंजूद थे,,, मृणाल उसी पार्टी वाले दिन का स्वतंत्र गवाह है लेकिन उसमें ब्रजेश पांडेय छेड़छाड़ किये है ऐसा बयान नही दिया है,,,
वैसे इस मामले में बहुत कुछ ऐसा है जिसका खुलासा कर दिया जाये तो पूरा खेल एक्सपोज हो जायेगा लेकिन इससे कही ना कही निखिल को लाभ मिल जायेगा जो पीड़िता के साथ न्याय नही होगा,,,
पुलिस का अनुसंधान अभी तक यही तक पहुंचा है वैसे मेडिकल रिपोर्ट भी …..बहुत कुछ बया कर रहा है छोड़िए आप बताये क्या इसी आधार पर ब्रजेश पांडेय को दोषी मान लिया जाये फांसी चढा दिया जाये क्यों कि यूपी चुनाव के बाद ब्रजेश बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बन सकते थे इसलिए इन्हें फांसी चढा दिया जाये कि ये रवीस के भाई है ,,वैसे आपके पास कुछ जानकारी हो तो जरुर दिजिए क्यों कि अगर सच में सैक्स रैकेट चलाते हैं तो फिर कड़ी सजा मिलनी चाहिए।।
Ye to Rahi àp logo ki doglapanthi. JNU me Jo hota hai sab Tum jaise log apna apna bhopu bajane lagte ho aur aaj ek balatkari aur uske beeke hue patrkar bhai Ko bachane ke liye kuch v likh rahe ho shame u on people.matbhed me tumhara ye priy ravish kaisa Kam karta hai. oM thanvi kisse khunnas Nikal reha hai