भाई के बहाने रवीश पर निशाना दागना ठीक नहीं है। आपको अगर उनका काम पसंद नहीं आता तो काम की आलोचना कीजिये। मैंने भी रवीश की खूब आलोचना की है, मगर सिर्फ उनके एकपक्षीय एंकरिंग की। वह भी इसलिये कि रवीश बतौर रिपोर्टर, लेखक और इंसान मुझे पसंद आते हैं।
कई मसले पर उन्हें फॉलो भी करता हूँ। रश्क करता हूँ। ऐसे में उनका राजनीतिक वजहों से जो स्खलन है वह मुझे दुःखी करता है। इसलिये आलोचना करता हूँ। मगर इसका मतलब यह नहीं कि मैं उन्हें दुश्मन मानने लगूं और रोज उनकी आलोचना का सही गलत बहाना तलाश करूं।
हर व्यक्ति की आलोचना जरूरी है, मगर आलोचना और शत्रुता में फर्क बरकरार रखिये। आप कह सकते हैं कि रवीश यही काम मोदी के साथ करते हैं। उन्होंने आलोचना को शत्रुता में बदल लिया है। इस बात पर मैं यही कहूंगा कि अगर वे कोई गलती करते हैं तो जरूरी नहीं हम भी उसे दुहरायें।
हम उनकी उस गलती की आलोचना जरूर करें, मगर शत्रुता न पालें। राजनीतिक वजहों से इतने क्रूर मत बनिये। यह बात हमेशा ध्यान रखिये, कोई व्यक्ति अपने भाई के कर्मों का जिम्मेदार कैसे हो सकता है? हर व्यक्ति सिर्फ अपने कर्मों का जिम्मेदार है।
@fb
पुष्य मित्र,पत्रकार-