चुरू , राजस्थान से जग मोहन ठाकन
देश के बहुचर्चित निर्भया बलात्कार काण्ड को अभी तक लोग भूल भी नहीं पाए थे कि राजस्थान राज्य के झुंझुनू जिले में पिलानी गैंग रेप की घटना ने महिला सुरक्षा पर फिर सवालिया निशान लगा दिया है . पिलानी से लोहारू जा रही एक प्राइवेट यात्री बस में अकेली महिला सवारी को झूठ बोलकर बैठाने वाले बस स्टाफ ने चलती बस में विवश महिला के साथ बलात्कार कर राज्य में महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोल कर रख दी है . पुलिस द्वारा बताई गयी घटना विवरण के अनुसार हरियाणा राज्य के जिला भिवानी के बाढ़ड़ा थाने के तहत गाँव कारी तोखा की रहने वाली एक छतीस वर्षीया विधवा बुधवार – गुरुवार ( २९ जनवरी २०१५ ) की मध्यरात्रि को जयपुर से बस द्वारा चलकर सुबह झुंझुनू पहुंची . वहां से पिलानी जाने वाली बस द्वारा वह अन्य सवारियों के साथ पिलानी पहुँच कर बस से उतर ली . झुंझुनू एस पी सुरेंदर गुप्ता के मुताबिक बाद में बस नंबर आर जे १८ पी बी ०८८८ के स्टाफ के कहने पर वह महिला लोहारू जाने के लिए बस में सवार हो गयी . बस लोहारू , हरियाणा की तरफ दौड़ पड़ी , परन्तु बस में अन्य कोई सवारी नहीं होने का फायदा उठाकर परिचालक एवं खलासी ने चलती बस में बारी बारी एक मात्र महिला यात्री से बलात्कार किया .
महिला सहायता के लिए चिल्लाती रही , बस निर्बाध दौड़ती रही , चालक बस चलाता रहा और अपने साथियों द्वारा किये जा रहे गैंग रेप का आनंद ले ठहाके मारता रहा.मानवता एक बार फिर दानवता का नंगा नाच करती रही . बलात्कार के बाद महिला को पिलानी –लोहारू के बीच डुलानियाँ गाँव के पास उतार कर बस लोहारु की तरफ रवाना हो गयी . पीड़ित महिला दूसरी बस से लोहारू पहुंची तथा लोहारु थाणे में अपनी आप बीती पुलिस को बताई . लोहारु पुलिस से सूचना पाकर पिलानी पुलिस पीड़ित महिला को पिलानी लेकर आई तथा महिला से पूछ ताछ कर पीडिता की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर लिया गया .
पिलानी थानाध्यक्ष डिप्टी एस पी भीष्म राज आर्य के अनुसार गुरुवार ( २९ जनवरी ,२०१५ ) को बस ड्राईवर , परिचालक तथा खलासी को गिरफ्तार कर लिया गया . शनिवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पीडिता के ब्यान दर्ज करवाए गए तथा इसके बाद आरोपियों की शिनाख्ती परेड भी कराई गई .
पुलिस के मुताबिक़ महिला की मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि भी हो गयी है .
पुलिस ने आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार भी कर लिया है , मामला न्यायिक प्रक्रिया पर भी चल पड़ा है , परन्तु सुशासन व राम राज्य का नारा देकर सत्ता में आने वाली एक महिला मुख्य मंत्री के राज में अगर कोई महिला दिन में भी सुरक्षित नहीं है तो क्या महिलायें घर से बाहर निकलना बंद कर दें ? क्या बराबरी का दर्जा पाने को प्रयासरत महिलाएं केवल चूल्हा चौके तक ही अपने को सीमित कर लें ?
राजस्थान सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग की वेबसाइट पर अगर नजर डालें तो साफ़ हो जाता है कि राज्य सरकार महिला सुरक्षा को लेकर कितनी चिंतित है . राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष २००९-२०१० में महिला सशक्तिकरण हेतु मुख्यमंत्री के सात सूत्री कार्यक्रम की शुरुवात की गयी थी ,जिसमे महिलाओं को सुरक्षित एवं भय मुक्त वातावरण प्रदान करने की जिम्मेदारी राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग तथा गृह विभाग को सौंपी गयी थी .इस प्रयोजन हेतु राज्य में चालीस पुलिस जिलों में महिला थानों या चयनित थानों के साथ महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र सञ्चालन के लिए चयनित गैर शासकीय सदस्यों को अधिकृत किया गया है .वर्ष २०१४ -२०१५ की बजट घोषणा के मुताबिक महिला सुरक्षा केन्द्रों को “ए ” एवं “बी ” श्रेणियों में बांटा गया है .प्रतिमाह बीस व उससे अधिक परिवाद प्राप्त होने वाले जिलों में सत्रह केंद्र तथा बीस से कम परिवाद वाले जिलों में तेईस केंद्र गठित किये जाने थे . परन्तु बारह केंद्र या तो बंद हो चुके हैं या अभी चयन प्रक्रिया को ही पूरा नहीं कर पाए हैं . वर्तमान गैंग रेप का भुक्तभोगी जिला झुंझुनू भी वेबसाइट के मुताबिक महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र का गठन नहीं कर पाया है . इन चालीस केन्द्रों के वर्ष भर तक सञ्चालन हेतु मात्र एक करोड़ पैंतीस लाख रुपये का बजट निर्धारित किया गया है . क्या ऊंट के मुंह में जीरे के समान चारा डाल देनें से महिला सुरक्षा पुख्ता हो पायेगी ?. या यों ही महिलाओं को निर्भय गैंग रेपों से दो चार होते रहना होगा ? सवाल जवाब मांगता है.
क्या आप पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा लगाये गए आरोपों को सत्तासीन भाजपा चुनौती मान कर महिला सुरक्षा की ओर कोई ठोस कदम उठायेगी ?
उल्लेखनीय है की अभी हाल के दिल्ली विधान सभा चुनावी दंगल में केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि भाजपा के केंद्र में सत्तासीन होने के सात माह के समय में प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी के कार्यकाल में दुष्कर्म के मामले तीस प्रतिशत बढे हैं . उन्होंने आंकड़े देकर बताया कि वर्ष २०१३ में रेप की १५७१ घटनाएँ हुई थी , जबकि २०१४ में सात माह में ही २०६९ घटनाएँ हो चुकी हैं .