उत्तरप्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला. ये बहुमत प्र.मोदी के नाम पर पर मिला. चुनाव प्रचार के दौरान बतौर मुख्यमंत्री किसी भी भाजपा नेता को प्रोजेक्ट नहीं किया गया. लेकिन अब चुनाव परिणाम आने के बाद उ.प्र. के मुख्यमंत्री के नाम पर मंथन जारी है और इसमें सबसे ऊपर राजनाथ सिंह का नाम चल रहा है. लेकिन वरिष्ठ पत्रकार सुशांत झा का कहना है कि राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री के पद की दौड़ से अपने आप को अलग कर लेना चाहिए.पढ़िए उनकी पूरी बात (मॉडरेटर)
सुशांत झा,पत्रकार-
1. मेरा मत है कि UP के मुख्यमंत्री के चुनाव में अगर BJP विधायक दल या आलाकमान राजनाथ सिंह के नाम पर आमसहमति भी कर दे तो उन्हें उस पद को लेने से इनकार कर देना चाहिए. उन्हें वो गलती नहीं करनी चाहिए जो कभी राजगोपालचारी ने की थी.
2.राजाजी भारत के गवर्नर-जनरल रहे थे जो उस समय सर्वोच्च पद था लेकिन बाद में उन्होंने मद्रास का मुख्यमंत्रित्व और बंगाल की गर्वनरी स्वीकार कर ली! कायदे से उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. सार्वजनिक जीवन में, भारत के संदर्भ में लोग इसे ठीक नहीं मानते. भले ही आप कहें कि ये सामंती मनोदशा है या कोई काम छोटा नहीं होता-लेकिन यहां तो काम करनेवालों की बहुतायत है.
3. इजरायल जैसे देशों में ऐसा चलता है कि कई बार वहां का प्रधानमंत्री बाद में गृह या रक्षामंत्री भी हो जाता है और उसकी वजह वहां राजनीतिक वर्ग के आकार का छोटा होना और टैलेंट पूल कम होना होता है. लेकिन भारत या यूपी के संदर्भ में तो ऐसा नहीं है.
4. भारत के गृहमंत्री को सरकार में नंबर दो माना जाता है जिसके जिम्मे आंतरिक सुरक्षा से लेकर कई कार्य होते हैं. राज्यपालों की नियुक्ति में उसकी अहम भूमिका होती है और कायदे से उसे अपने ही द्वारा नियुक्त राज्यपाल के अधीन काम नहीं करना चाहिए. ये नैतिक बात है. राजनाथ सिंह को इन बातों का खयाल रखना चाहिए.
5. भारत सरकार में अन्य मंत्री बहुधा केंद्र से राज्य में जाते रहे हैं. फिलहाल तो मनोहर पर्रिकर ही गोआ जा रहे हैं. लेकिन रक्षा या अन्य मंत्रालय प्रोटोकॉल के हिसाब से उस दर्जे के नहीं जैसा गृह-मंत्रालय है. गृहमंत्रालय राज्यों से सीधे रिपोर्ट मांगता है, उसे एडवाजरी जारी करता है और राज्यपालों की नियुक्ति करता है.
6. कुछ लोगों का तर्क है कि यूपी को चलाना किसी नौसिखुआ नेता के वश की बात नहीं. हो सकता है कि राजनाथ सिंह का अनुभव बीजेपी के लिए जरूरी हो, लेकिन राजनीति दुस्साहस और नए प्रयोग का भी तो नाम है. बीजेपी आलाकमान को चाहिए कि यूपी में किसी नौजवान को ये मौका दे जिसकी उम्र 60 साल के कम हो.
(सोशल मीडिया पर की गयी टिप्पणी)