आलोक श्रीवास्तव के यादों के झरोखे में आजतक रिपोर्टर रजत सिंह
“स्साले ! ये हार्ड कोर न्यूज़ या कोई पॉलिटिकल ख़बर करते वक़्त जो तुम बोहें तानते हो न ! ये तुम पर बिलकुल सूट नहीं करता ! फ़र्ज़ी लगते हो एक दम. नॉर्मल रहा करो बे !” “अरे दादा ! …चलो अब ध्यान रखूँगा.”
शाहरुख़ ख़ान की ख़ुशक़िस्मती कि वो हमारे रजत सिंह की पहली मुहब्बत थे. उसी स्टाइल की रिस्ट वॉच, उसके ही स्टाइल की शर्ट और ड्रेसिंग यहाँ तक कि Amit Kumar ने उसकी जो एक शानदार पिक ली थी, उसमें भी वो शाहरुख़ स्टाइल में ही खड़ा नज़र आ रहा है. Shruti Mishra के साथ उसकी एक यादगार स्टाइलिश फोटो है. उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था कि वो बैक प्रोफ़ाइल दे रहा है या साइड प्रोफ़ाइल. बस अदा शाहरुख़ सी होनी चाहिए. दीवानगी जो ठहरी !
एक सुबह उसका फ़ोन आया- “दादा, जीवन सफल हो गया.” मैंने पूछा- “क्या हुआ डार्लिंग ?” “अरे दादा कल शाहरुख़ को छाप दिया. ‘आजतक’ के लिए उसका लंबा इंटरव्यू किया. ज़िंदगी बन गई दादा !” मैंने कहा- “अबे ज़िंदगी तुम्हारी नहीं, उसकी बन गई. ‘आजतक’ के सबसे हेंडसम और यंग रिपोर्टर के साथ स्क्रीन शेयर करेगा अब वो !” लेकिन रजत ऐसा ही था. खिलखिलाती धूप की तरह. छोटी छोटी ख़ुशियों में ख़ुश हो जाने वाले छोटे भाई के जैसा.
मुझे याद है Pankaj Udhas जी के साथ मेरे एलबम के आने की उसे उतनी ख़ुशी नहीं थी जितनी इस बात की थी कि एलबम के रिलीज़ इवेंट को कवर करने का ज़िम्मा उसे मिला है. खनखनाती आवाज़ में उसका फ़ोन आया था- “दादा, अपन आ रहे हैं छापने के लिए…” यही प्यार और अपनापन रजत की ज़िंदगी का इंद्रधनुष बनाते थे. उसे ‘सिल्वर ब्वॉय’ का ख़िताब दिलाते थे.
मुझे लगता है इंसान दुनिया में अपने हुनर के साथ ज़िंदा रहे न रहे. अपनी क़ाबलियत से जाना जाए या न जाना जाए, अपनी विनम्रता, आत्मीयता और अपनेपन से, वो सदा दिलों पर राज करता है. रजत जैसे दोस्त ज़िंदगी में रहते हुए जितने क़रीब रहते हैं, उससे कहीं ज़्यादा क़रीब ज़िंदगी से जाने के बाद हो जाते हैं. Love You A Lot Bro… We Miss You A Lot Always…