पंकज जैन की यादों के झरोखे में युवा रिपोर्टर रजत सिंह –
“इससे पहले कि मेरी साँसें उखड़ने लगे…इससे पहले कि मेरी ज़िंदगी का सबसे गहरा राज, मेरे सीने में दफ़्न हो जाए…मैं सबको सब कुछ बताना चाहता हूँ”
ऊपर लिखी बात रजत ने अपनी जुबानी कही थी। अंदाज़ इतना जबरदस्त था कि आज भी सुनो तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं। अरावली पर्वत की ये कहानी पूरी दुनिया ने सुनी, लेकिन इस कहानी को सुनाने वाला नौजवान अब हमारे बीच नहीं है।
रजत अक्सर मज़ाकिया अंदाज़ में मुझे ताना मारते थे- ‘पशु, पक्षी और लड़कियों की तस्वीर ही खींचोगे, या कभी हमारा फोटू भी लोगे बे’
फिर ये तस्वीर कैमरे में क़ैद हुई थी पिछले साल, और अब रजत सिर्फ हमारी यादों में क़ैद रह गए हैं।
@fb