वेद विलास उनियाल
1– कांग्रेस का सच ये हैं कि राहुल गांधी और उनकी खास मंडली पुराने नेताओं को भाव नहीं दे रही थी। यहां तक कि राहुल गांधी पुराने नेताओं को मिलने से कतराते थे। और कहा जाता था कि इनमें क्या रखा है।
2- सच ये भी है कि ज्योतिर्दित्य सिंधिया, सचिन पायलट कहने के लिए तो राहुल की मंडली के सदस्य लगते हैं लेकिन इनकी भूमिका सीमित है। राहुल के सामने इनका प्रभामंडल न बढ़े इसकी पूरी कोशिश तजुर्बेकार करते रहे। आखिर जिस किसान आंदोलन और जमीन के आंदोलन की अगुवाई सचिन पायलट को करनी चाहिए थी उसे राहुल गांधी के साथ क्यों जोड़ा गया। जबकि कांग्रेस के लिए सचिन ज्यादा प्रभावी होते। राहुल की मंडली कुछ और ही तरह की है।
3- राहुल के ऊपर बहुत परिश्रम हुआ। इतनी कोशिश ओर मेहनत अन्नु मलिक के संगीत के ऊपर होता तो वह तानसेन बन जाता। क्या कुछ नहीं किया गया राहुल को मेधावी बनाने के लिए। उन्हें सिखाने के लिए इतने दक्ष लोग आए पर राहुल को वो सब नहीं सिखना । उनकी जिंदगी कुछ और है। वो केवल राजीव गांधी और सोनिया के बेटे हैं। कांग्रेसी उनमें वोटों की फसल देखती रही। यहीं गड़बड़ हुई। दोष राहुल का नहीं, राहुल को राजनीति की सीढ़ी बनाने वालों का है।
4- किसी बड़े लेखक ने ठीक लिखा कि राहुल शाम पांच बजे तक नेता है। उसके बाद उनकी अपनी अपनी दुनिया है। जबर्दस्ती नहीं की जा सकती है। सिद्धार्थ को राजा बनाने के लिए क्या क्या न किया गया । पर सिद्धार्थ को किसी और राह जाना था। वो बुद्ध बन गया। राहुल को कांग्रेसी नेता बनाने के लिए क्या क्या न किया गया पर राहुल की दिशा कुछ और है।
5- जिस तरह इंदिराजी हर परिस्थिति से निपट लेती थी, वो सब आज भी हो जाएगा। कैसे संभव हैं। क्या सोनिया क्या राहुल इंदिराजी जैसी प्रतिभा के धनी है। परिणाम सामने हैं । छुट्टी चाहिए। मगर किससे । क्या कांग्रेस से ।
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