– शुभांकर
क्या हिन्दी के झंडबदार और उसी के नाम पर अपनी जगह बनाए रखने को आतुर राहुल देव ये अपील और कंवल भारती की गिरफ्तारी का विरोध हिन्दी में नहीं कर सकते थे ?
आखिर जब लेखक हिन्दी का, उनकी गिरफ्तारी का विरोध करनेवाले लोग हिन्दी के और स्वयं राहुल देव की वॉल पढ़नेवाले लोग हिन्दी के हैं तो अंग्रेजी छांटने की क्या जरुरत है थी ?
क्या राहुल देव का पूरा तर्क और नजरिया बेहद खोखला और भाषा के नाम पर पाखंड नहीं है ?
(शुभांकर की टिप्पणी जो उन्होंने मेल करके हमें भेजी)