3 दिसंबर 2013 को मैंने नरेंद्र मोदी के एक इंटरव्यू का लिंक शेयर किया था, जिसमें मोदी, करण थापर के शो –डेविल्स एडवोकेट– में गुजरात दंगों का जिक्र आने के बाद संभल नहीं पाए. उनका कंठ-गला सूख गया, पीने के लिए एक ग्लास पानी मांगने लगे और करण थापर से अपनी दोस्ती की -दुहाई- देते हुए इंटरव्यू को खत्म करने का एकतरफा ऐलान कर दिया. करण, मोदी को समझाते रहे लेकिन नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने माइक-वाइक निकाला और चलते बने.
तब मुझे भी नहीं पता था कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी एक दिन एक अंग्रजी चैनल के एक -बड़े- पत्रकार को ठीक इसी तरह एक -exclusive interview- देंगे और गैरों की जुबान-भाषा के मार्फत अपने देश के लोगों तक पहुंचने की, उनसे संवाद स्थापित करने की कोशिश करेंगे.
नरेंद्र मोदी बीजेपी की तरफ से और राहुल गांधी कांग्रेस की ओर से (अघोषित) देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्टेड हैं. लेकिन अफसोस, दोनों को ही ये नहीं मालूम कि हर साल 15 अगस्त को लाल किले से भारत देश का प्रधानमंत्री देश को हिन्दी में संबोधित क्यों करता है!!! अंग्रेजी में क्यों नहीं बोलता??? कोई तो वजह रही होगी.
इससे पहले भी नरेंद्र मोदी ने गुजरात दंगों के बारे में जो -कुत्ते का बच्चा/ कार के नीचे आ जाता है- टाइप का बेहूदा बयान दिया था, वह किसी भारतीय मीडिया को नहीं, विदेशी मीडिया (अंग्रेजी) -रॉयटर्स- से बातचीत में दिया था. पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट होने के बाद आज तक मोदी ने किसी भारतीय टीवी चैनल (इसे अंग्रेजी का न्यूज चैनल पढ़िए) को face to face इंटरव्यू देना गवारा नहीं समझा . हिन्दी के न्यूज चैनल्स तो वैसे भी इनके लिए किसी गिनती में नहीं आते. वही हाल और वही ढर्रा अब राहुल गांधी ने अपनाया है. Times Now को -विशेष साक्षात्कार- देकर.
वैसे मोदी और राहुल का दोहरा चरित्र देखिए. जब मोदी-राहुल जनसभा करते हैं तो हिन्दी में बोलते हैं. जब राहुल कांग्रेस की -राजसभा- में पीएम से आम आदमी के लिए 9 की बजाय 12 सिलिंडर मांगते हैं तो हिन्दी में बोलते हैं. गंजों को कंघा बेचना जैसी कहावत भी सुनाते हैं. लेकिन वही राहलु गांधी जब इस देश के लिए अपने विजन की बात करते हैं, तो अंग्रेजी में बकते हैं. अंग्रेजी चैनल को इंटरव्यू देते हैं, अंग्रेजी में. और राहुल समेत पूरी कांग्रेस पार्टी ये मान लेती है कि अंग्रेजी में बोले गए उनके बोलवचन-संदेश देश की जनता तक पहुंच गए. ये जानते हुए कि न्यूज देखने वाले दर्शक वर्ग में हिन्दी चैनलों की तुलना में अंग्रेजी चैनलों की दर्शक संख्या लगभग नगण्य है. फिर भी ये लोग अंग्रेजी में ही बोलेंगे. धन्य हैं ये राजनेता. राहुल भी और मोदी भी.
दरअसल राहुल और मोदी का यह आचरण ये बताने के लिए काफी है कि आचार-विचार-व्यवहार में ये दोनों कितने सामंती-इलीट और चूजी हैं. हमारे यहां एक अजीबोगरीब कहावत है. खाए भतार का और गाए यार का. यही हाल राहुल-मोदी का भी है. खाते हैं हिंदी की और गुण गाते हैं अंग्रेजी का. उत्तर भारत हो या दक्षिण, जनसभा में, पब्लिक से संवाद में, हिन्दी में बोलेंगे लेकिन जब तथाकथित exclusive interview टाइप की चीज देनी होगी-बात करनी होगी तो अंग्रेजी मीडिया में जाकर vomiting करेंगे, उल्टी करेंगे. दुर्गंध फैलाएंगे.
वो कहते हैं ना. समय बड़ा बलवान होता है. राहुल जी और मोदी जी, हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. आप अंग्रेजी से अपना लाड़-प्यार यूं ही बनाए रखें. आप दोनों को 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्रचीर से हिन्दी में देश को संबोधित करने का गौरवशाली लम्हा नसीब नहीं होने वाला है. हमें मालूम है कि आप दोनों को हिन्दी बोलने में दिक्कत होती है क्योंकि you walk English, you talk English and you VOMIT in English. जय हो.