आदि की आरतीः रेडियो सिटी
एफएम चैनलों पर राजनीति से जुड़े कार्यक्रमों और उस पर फिलर, प्रैंक का दौर तेजी से बढ़ा है और दिलचस्प है कि इनमे ह्यूमर के साथ-साथ वो कटाक्ष भी है जो न्यूज चैनलों से तेजी से गायब हो रहे हैं. रेड एफएम पर कुमार विश्वास की मिमकरी करते आरजे रौनक का कवि सम्मेलन के बाद अब रेडियो सिटी पर आरजे आदि की आरती इसी का विस्तार है.
आर जे आदि की आरती के शब्दों पर अगर गौर न किया जाए तो लगेगा ये चैनल अचानक से ऊं जय जगदीश हरे क्यों बजाने लग गया लेकिन गौर करने पर अंदाजा लग जाता है कि ये राजनीतिक चर्चा की आरती की शक्ल में पैरोडी है. चूंकि ये जय जगदीश हरे आरती पर आधारित है, ऐसे में रौनक जैसी क्रिएटिविटी तो नहीं है और न ही वो बारीकी लेकिन ये जरूर है कि जिन मुद्दों को शामिल करते हैं, वो न्यूज चैनलों पर झौं-झौं की शक्ल में तब्दील हो जाते हैं, वहीं यहां गेय शैली में होने से ज्यादा कायदे से समझ आता है और ह्यूमर तो है ही.
इधर आरती उतारने का अर्थ भी अपने आप बदल जा रहा है.खासकर जब इसकी प्रोमो बेहद ही दिलकश अंदाज में प्रसारित किए जाते हैं- आदि की आरती, सबकी उतारती.
(मूलतः तहलका में प्रकाशित)