संदर्भ – एंकर रमेश भट्ट बने उत्तराखंड सीएम के मीडिया सलाहकार
वेद उनियाल-
थोडा अजीब तो लगा एक नया नया सा पत्रकार। जिसे दो साल पहले हम सब जानते भी नहीं थे। पत्रकारिता में उसने कोई ऐसा तहलका भी नहीं मचाया। बस टीवी में सामान्य सी बातें। फिर ऐसा क्या कि वह इस संवेदनशील राज्य के मुख्यमंत्री का सलाहकार बन जाए। क्या वास्तव में उसने अपनी पत्रकारिता से उत्तराखंड को झकझोर दिया है।गनीमत है कि किसी मीडिया संस्थान में पढाई करने वाले छात्र को मुख्यमंत्री का मीडिया सलाहकार नहीं बना दिया।
उत्तराखंड की मीडिया जगत में हैरानी है इस नियुक्ति को लेकर। हम सब सोच रहे हैं कि आखिर कौन सी चीज, कौन सी बात इस युवा अजनबी से पत्रकार को इतनी महत्वपूर्ण जगह पर ले आई। बताया जाए कि उत्तराखंड की पत्रकारिता में इस नए पत्रकार का योगदान क्या है। क्या ये उत्तराखंड आंदोलन से जुडा, क्या यह उत्तराखंड के लिए इनका कोई बडा योगदान है। आखिर इनकी नियुक्ति के पीछे राज क्या है स्वार्थ क्या है। जिस राज्य में हरीश चंदोला, नंद किशोर नौटियाल , राजीव लोचन शाह, ज्ञानेंद्र पांडेय गोविंद सिंह , व्योमेश जुगराण, सतीश जुगरान , शिव जोशी , सुशील बहुगुणा, राजीव नयन बहुगुणा चारू चंदोला , गोविद पंत राजू , रमेश पुरी हरीश लखेरापुरा देवेंद्र भसीन पुरुषोत्तम असनोडा, सूरत सिंह रावत दाता राम चमोली जैसे कई मूर्धन्य पत्रकार हों , वहां एक नए नए से पत्रकार को इतनी बडी अहमियत देना नई सरकार को कठघरे में खडा करती है। आखिर किस क्षेत्र में इनकी विशेषज्ञता है और इनके ऐसे पिछले काम काज क्या हैं जो मोदीजी के सुशासन सरकार के दावे को सिद्ध करते हो। आखिर हम किस राज्य को बनाने चले हैं। क्या यही शहीदों का राज्य हैं। सलाहकार के पद इस राज्य में मुख्यमंत्री को सलाह देने के नहीं बल्कि अय्याशी और मौज मजे करने के माध्यम हो चले हैं। यही दुखद है । यही इस राज्य के गर्त में जाने के कारण भी बने हैं। बताइए सुरेंद्र अग्रवाल ने मीडिया सलाहकार रहते हुए क्या सलाह दी होगी मुख्यमंत्री हरीश रावत को । क्या वो मुख्यमंत्री को मीडिया की किसी सलाह देनेे की स्थिति में थे।
या एक नया लडका जो अभी पत्रकारिता की शुरुआत कर रहा हो। जिसने अभी पत्रकारिता में एक भी खबर न लिखी हो, एक भी लेख विश्लेषण न लिखा हो, जो उत्तराखंड के किसी बडे जनआंदोलन या किसी बडे सवाल से न जूझा हो, जिसे अभी राज्य को समझना हो, वह भला मुख्यमंत्री को क्या सलाह देगा। वह भला हमारी मीडिया को लेकर क्या कहेगा। वह पहले अपने जिले के बारे में तो जाने। अभी तो उनकी उम्र ऐसी है कि गोपाल बाबू गोस्वामी के बारे में जानने के लिए अपने टीवी चैनल के रिफरेंस विभाग की मदद लेनी पडती है। इसे उन्होंने एक जगह स्वीकार भी किया था। इस तरह इतना बडा पद देना उनके साथ भी अन्याय है। वह पत्रकारिता में बहुत आगे जा सकते थे लेकिन उन्हें प्रलोभन का गंदा रास्ता दिखा दिया। या तो त्रिवेंद्र रावतजी या अजय भट्टजी किसी एक का फैसला है। क्योंकि दोनो नेशन चैनल में खूब दिखते थे.
यही कमी हैं अपने यहाँ के वरिष्ठ पत्रकारों की उन्हें अगर मौक़ा नहीं मिला तो लगे गरियाने, अरे किसी की क़ाबिलियत पर आप सवाल उठाने वाले होते कौन हैं , जब तक किसी को ज़िम्मेदारी नहीं दी जाएगी वो उसकी महत्त्वता को क्या समझेगा। बधाई के पात्र हैं रमेश भट्ट जो इतनी कम उम्र में उन्हें ये पद आसीन हुआ हैं। और आप सभी वरिष्ठों की ज़िम्मेदारी ये हैं की उसकी कमी को न गिना कर उसको सपोर्ट कीजिए। पूरे देश में आप जैसे पत्रकारों ने ही माहौल को गंदा कर रखा हैं।
श्री रमेश भट बेहतरीन एंकर रहे हैं अपने विषय पर पूरी पकड़ रही है कभी विचलित न होने वाले अपनी बात को बेबाकी से रखने वाले रमेश भट्ट उत्तराखंड मुख्य मंत्री जी के मीडिया सलाह कार बनने पर मुबारक बाद के साथ आशीर्वाद ऐसे प्रतिभा शाली एंकर पर गर्व है
Congratulations to Ramesh Bhatt ji….Uniyal ji apne logo ko girao nahi uper uthne mai help karo…CM ka salahkar BJP ke samarthak ko hi toh banayege..naa ki congress ke follower ko nahi…Sush Bahuguna ji bahut achche patrkaar hain kintu Raveesh Kumar kesaath hain….