बड़े-बड़े टेलीविजन पत्रकार लोगों के बीच पहुँचते तो हैं सच्चाई सामने लाने के लिए, लेकिन अपना एजेंडा थोपने में वे कोई कोर – कसर नहीं छोड़ते. एनडीटीवी के रवीश कुमार तो इसके सबसे बड़े उदाहरण है. पुण्य प्रसून एकाध मामले को छोड़कर उतने पक्षपाती तो नहीं, लेकिन कई बार ये कमी उनमें भी दिख ही जाती है.आज दस तक में कुछ ऐसा ही नज़ारा दिखाई दिया जब पुण्य प्रसून निठारी गाँव में पहुँचे तो किसी और मकसद से लेकिन मोदी-मोदी के नारों से हो कुछ और गया.
दरअसल नोटबंदी के बाद आज पहली तारीख थी तो स्टूडियो से निकलकर पुण्य प्रसून निठारी गाँव इस मकसद से पहुँचे कि आज इस मुद्दे पर लोगों की दिक्कतों के बहाने मोदी सरकार पर जबर्दस्त चोट करेंगे.
लेकिन जब उन्होंने सवाल पूछा तो लोगों ने कहा कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं. उन्होंने फिर सवाल पूछा तो मोदी के जयकारे लगने लगे. इसपर पुण्य प्रसून थोड़े से खीजते हुए पूछने लगे कि अरे भाई मैंने तो सवाल पूछा और बीच में मोदी को ले आए…..
मैं पूछता हूँ कि आपको दिक्कत है तो आप मोदी को ले आते हैं? लेकिन इतना कहने के बावजूद भी जब नारे नहीं रुके तो अपने चिरपरिचित आवाज़ में पुण्य प्रसून ने कहा कि बड़ा विचित्र नज़ारा है और इस मौके के लिए ये गाना सुनिए – राम चंद्र कह गए सिया से……. (-ओम प्रकाश-)