-अभय सिंह-
लंबे समय से देश के नम्बर एक चैनल का तमगा हासिल करने वाला आज तक वर्तमान में टीआरपी की होड़ में तेजी से पिछड़ रहा है।कुछ दिन पहले मुम्बई में इंडिया टीवी को देश के सर्वश्रेष्ठ चैनल का ITA पुरस्कार मिला जिसमे जनता की राय को सर्वोपरि माना गया। इंडिया टीवी ने लगातार 15 बार के विजेता रहे आज तक चैनल को पछाड़कर इस बार शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।इंडिया टीवी ने TAM और BARC रेटिंग रिकॉर्डस को भी तोड़ा है।
अब सवाल ये उठता है की अन्य न्यूज़ चैनलो की अपेक्षा आज तक में सर्वाधिक निवेश ,आधुनिकीकरण, खूबसूरत ,तेजतर्रार ,बुद्धिजीवी एंकरों की टीम के बावजूद इनका बुरा हश्र क्यों है ।कुछ वर्ष पूर्व आजतक के आसपास भी न फटकने वाले इंडिया टीवी, एबीपी न्यूज़, आईबीएन7 आखिर क्यों और कैसे इसे कड़ी टक्कर दे रहे हैं।इस विषय में सबसे प्रमुख बिन्दुओ पर प्रकाश डालना चाहूँगा.
चैनल की तेजतर्रार एंकर अंजना ओम कश्यप एवं खबरों में मिठास घोलने वाली श्वेता सिंह अपनी भूमिका में सर्वश्रेष्ठ है।तथा अन्य एंकरों का भी कोई सानी नहीं है।लेकिन जब प्राइम टाइम की बारी आती है तो चैनल को लकवा मार जाता है। दस तक में दूर से तो बेहद काबिल एंकर पुण्य प्रसून हाथो को आपस में रगड़ते हुए खबरों में गर्मी पैदा करने की कोशिश करते दीखते हो लेकिन सूक्ष्मता से देखा जाय तो बड़ी चालाकी से खबरों का तोड़मरोड़ विश्लेषण कर निष्पक्षता की आंड़ में अपना गुप्त एजेंडा चलाते है।लेकिन रजत शर्मा या रविश कुमार, के प्राइम टाइम से इनकी तुलना करें तो ये पत्रकार एंकर पुण्य प्रसून से अधिक विश्वसनीय,प्रभावशाली होंगे चाहे वे कितनी ही मोदीभक्ति या विरोध करें।
पुण्य प्रसून अपनी काबिलियत का उतना इस्तेमाल अपने चैनल के लिए नहीं करते जो उन्हें करना चाहिये । अक्सर ये देखा गया है कि बुद्धिजीवी पत्रकार दर्शकों को हमेशा संशय में डालते हैं। बेहतर ये होगा की पुण्यप्रसून आजतक को अलविदा कह कर किसी पसन्दीदा पार्टी के गुप्त मीडिया सलाहकार बन जाएं जैसा कि ओम थानवी बखूबी कर रहे है।वहाँ पर अपना खुलकर एजेंडा चलाये इससे उस दल के साथ आपका भी कल्याण होगा।
अभय सिंह
राजनैतिक विश्लेषक