वरिष्ठ पत्रकार गिरीश निकम के निधन पर जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी की प्रतिक्रिया –
कितना भी दूर निकल आइए, बुरी ख़बरें कब पीछा छोड़ती हैं? वरिष्ठ और संजीदा पत्रकार गिरीश निकम नहीं रहे। राज्यसभा टीवी का अपना कार्यक्रम ‘द बिग पिक्चर’ पेश कर स्टूडियो से बाहर निकले और दिल ने दगा कर दिया।
अमेरिका में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के कावरेज़ के वक़्त भी ऐसा हुआ था, पर लंबी चिकित्सा के बाद अस्पताल से लौट आए थे। इस दफ़ा धोखा हो गया। उनके साथ भी, हमारे साथ भी।
टीवी के साथ निकम सोशल मीडिया पर भी बहुत सक्रिय थे। ख़ास बात यह थी कि टीवी पर धारदार उपस्थिति के बावजूद संयम बहुत रहता था। दूसरों को ज़्यादा बोलने देते थे। अपनी बात फ़ेसबुक पर बेलौस रखते थे। उनका जाना ज़िम्मेदार पत्रकारिता को बड़ा सदमा है। पहले ही जुझारु पत्रकार देश में कम हैं।
गिरीश की आकस्मिक विदाई ने बड़ी जगह सूनी कर दी है। मैं परदेस में यह सोचकर व्यथित हूँ कि लौटकर न अब उनका कार्यक्रम देखने को मिलेगा, न उनकी टिप्पणियां पढ़ने को मिलेंगी, न उन्हें कभी राज्यसभा चैनल के दालान में सिगरेट के कश लगाते देख पाऊंगा। आइआइसी फिर किसी शाम गप करने का भी उनका वादा था, वह उनके साथ ही चला गया। … अलविदा मित्र।