स्वच्छ राजनीति का दंभ भरने वाली आम आदमी पार्टी आपसी कलह के बाद सबसे बड़ा दलदल नज़र आने लगा है. आरोप और प्रत्यारोप के बीच रोज नए स्टिंग,नयी कहानियाँ और नए खुलासे हो रहे हैं. इन खुलासों के बीच पत्रकारिता और पत्रकारों की साख भी मिट्टी में मिल रही है. पहले एक ऐसे संपादक का नाम आया था जिसने दिल्ली में सरकार बनवाने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच अपने घर पर मीटिंग करवायी थी.उस नाम को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए गए. ख़ैर अभी उस मामले को ठंढा हुए कुछ दिन भी नहीं बीते कि अरविंद केजरीवाल ने नया बम फोड़ दिया. अपने ताजा बयान में योगेन्द्र यादव पर आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने कहा कि दो बड़े समाचार चैनलों के वरिष्ठ संपादकों ने उन्हें बताया था कि योगेंद्र यादव उनके खिलाफ खबरें प्लांट करा रहे थे. स्पष्ट है कि ये दोनों संपादक केजरीवाल के एजेंट की तरह न्यूज़ चैनलों मे काम कर रहे हैं और न्यूज़रूम की तमाम ख़बरें अपने आका केजरीवाल तक पहुँचा रहे थे.अब सवाल उठता है कि ये दोनों पत्रकार कौन हैं जो अपने पेशे से ऐसी गद्दारी कर रहे हैं. पत्रकार अभिरंजन कुमार की एक टिप्पणी –
अभिरंजन कुमार
केजरी भाई ने खुलासा किया है कि दो बड़े समाचार चैनलों के वरिष्ठ संपादकों ने उन्हें बताया था कि योगेंद्र यादव उनके खिलाफ खबरें प्लांट करा रहे थे। इसका सीधा-सीधा मतलब यह भी हुआ कि कम से कम दो बड़े समाचार चैनलों के वे वरिष्ठ संपादक खुलकर केजरीवाल के पक्ष में ख़बरें चला और चलवा रहे थे।
अति-विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मुझे इस बात की पुख्ता जानकारी थी कि केजरीवाल ने मीडिया में कई बड़े लोगों को नेता बनाने का सपना दिखाकर उनका ईमान ख़रीदा था, तो कई छोटे और मध्यम दर्जे के लोगों को आर्थिक रूप से भी ऑबलाइज किया था। हां, कई नौजवान और ईमानदार पत्रकार ज़रूर इस उम्मीद में उनके साथ बह चले थे कि देश में क्रांति अब अगले ही मोड़ पर खड़ी है।
केजरीवाल ने सिर्फ अन्ना हज़ारे, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार, मेधा पाटकर, राजेंद्र सिंह, स्वामी अग्निवेश, बाबा रामदेव, कैप्टन गोपीनाथ, एडमिरल रामदास और जनरल वीके सिंह जैसे अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गजों को ही यूज़ (एंड थ्रो) नहीं किया, बल्कि मीडिया को भी बुरी तरह यूज़ किया।
केजरीवाल की वजह से देश में न सिर्फ़ जन-आंदोलनों की विश्वसनीयता और ईमानदार वैकल्पिक राजनीति की उम्मीदों को झटका लगा, वरन मीडिया की साख भी धूल में मिल गई। जितनी मेरी समझ और जानकारी है, उसके मुताबिक मोदी समेत देश के तमाम नेता मीडिया-मैनेजमेंट और ख़रीद-फ़रोख्त में उनके सामने बौने साबित हुए हैं।
Koe naam to btaye, samvawit hi sahi……. plz