ठेकेदार और ब्लैकमेलर काबिल निकले, इन्हें ‘पत्रकार’ बनाने वाले जूतों के हकदार हैं
संजीव चौहान
इंसान हूं आखिर कब तक झेल सकता हूं। लिखना तो नहीं चाहिए, लेकिन जब लिखना हो और बोलना हो तो चुप रहना भी नहीं चाहिए। वक्त के हिसाब से अगर इंसान लिखता-बोलता रहे, तो वो समाज के हित में होता है। खबर-मंडी से सिसकती-बिलखती, खुद का बलात्कार कराये हुए एक “खबर” आ रही है, कि ‘न्यूज-नेशन’ नाम के देश के नंबर-वन (कथित तौर पर नंबर-1) खबरों के एक ‘अड्डे’ में बड़ा गड़बड़झाला हो गया है। गड़बड़झाला यूपी के बुलंदशहर जिले में रखे गये स्ट्रिंगर-महाश्य को लेकर (दो लोग) हुआ है।
खबर-मंडी-बाजार में हल्ला है कि, इस चैनल ने पहले जिन बरखुरदार को अपना संवाददाता (स्ट्रिंगर या अंशकालिक संवाददाता या पूर्ण कालिक जो भी हो, हमारी बला से) चिपका रखा था। वह इंटरलाक टाइल्स मामले में फैक्ट्री मालिकों/ संचालकों से वसूली करता पकड़ा गया। बात जिलाधिकारी के जरिये मुख्यमंत्री तक पहुंची। मामला भारी पड़ता देख, चैनल के कथित मठाधीशों को मुंह की खाकर, अपने गले से मरा हुआ सांप निकालने के लिए उस नामुराद को ‘निपटाना’ पड़ा और अपनी गर्दन साफ बचा ले गये।
इस ब्लैकमेलर से चैनल का पीछा छूटा ही था, कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि चैनल के कुछ कथित ‘उस्तादों’ ने एक नये साहब को उनकी जगह पर ला चिपकाया। अगर बात सही है तो, यह नये साहब पुराने वाले के भी ‘बाप’, और चैनल में कथित ‘उस्तादों’ के गुरु निकले। पता चल रहा है कि ‘ न्यूज-नेशन’ जैसे महान चैनल ! के पत्रकार बनते ही बिचारे बुलंदशहर के यह कथित दूसरे ब्यूरो-प्रमुख भी ज़मींदोज होने की राह पर निकल पड़े हैं। यह साहब ‘रंडियों’ (अंग्रेजी में बोले तो call girl) के ठेकेदार निकल आये। यह बात उस कम-अक्ल को या तो पता नहीं थी, या फिर उसने जान-बूझकर अपनी आंखें स्वार्थवश बंद कर लीं थीं, जिसने ‘न्यूज-नेशन’ चैनल में इंटरव्यू लेकर इस कमबख्त को ‘स्ट्रिंगर-पत्रकार-अंशकालिक-संवाददाता’ और न जाने क्या क्या बना डाला। वेबसाइटों की खबरें चीख-पुकार मचाये हैं, कि जनाब मर्दाना ताकत (सेक्स पॉवर) की दबाईयां भी बेचते हैं।
कुछ साल पहले इन दूसरे साहब ने पुलिस से ‘सेफ’ रहने और ‘रंडियों के कोठों’ से वसूली करने की प्लानिंग के तहत जिले से एक अखबार भी निकालना शुरु कर दिया था। सन् 2013 में नामुराद के धंधों का भांडा फूट गया। पता चला बुलंदशहर की कुख्यात वेश्या सरगना (कोठा मालकिन) को पुलिस ने दबोच लिया। उस वेश्या ने पुलिस को बताया कि, फलां साहब (अखबार के संपादक और अब न्यूज ‘नेशन-चैनल’ के सम्मानित बुलंदशहर प्रतिनिधि) तो उसके कोठे से ‘हफ्ता’, ‘महीना’ वसूल ले जाते हैं। वेश्या ने पुलिस को यह खुलासा भी किया, कि महीना-हफ्ता न देने पर ‘न्यूज-नेशन’ चैनल का यह ‘उस्ताद-पत्रकार’ ‘कोठा और रंडीबाजी’ का धंधा बंद कराने की धमकी देता है। यह सब तो था, फ्लैशबैक…आईये अब बात करते हैं फ्रंट पर आमने-सामने और मतलब की और अपनी सोच की। मेरे मुताबिक न्यूज-नेशन चैनल में पहले वाला संवाददाता जो फैक्टरी मालिकों से ‘वसूली’ करते पकड़ा गया था…वह भी सही था। दूसरा वाला जो ‘रंडी-बाजार’ में वेश्यालयों से वसूली कर रहा था और मर्दाना ताकत बढ़ाने की दवाई बेचने के बाद भी ‘बिचारा’ देश के न्यूज-नेशन जैसे कथित सम्मानित नेशनल न्यूज चैनल में मेहनत-मजदूरी करके कमा-खा रहा था, तो वह कहीं गलत नहीं है। वह अपनी जगह सही और समझदार था, जोकि बुलंदशहर से आकर, दिल्ली से संचालित पढ़े-लिखों और ज्ञान बघारकर दुनिया को दिशा देने वालों से भरे हुए कथित ‘काबिलों’ से भरे ‘न्यूज-नेशन’ चैनल वालों की आंखों में ‘अक्ल’ का तड़का लगाकर अपना काम निकाल ले गया।
तलाश तो न्यूज-नेशन चैनल में उस कम-अक्ल और स्वार्थी की करो, जिसने इन दोनो को भर्ती कराकर या करके, चैनल की मां-बहन कराने में फिलहाल तो कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। गर्दन कलम करने की जरुरत उस शख्स की है, जिसने इन दोनो निकम्मों को चैनल में भर्ती किया, जिन निकम्मों ने चैनल के गले में बुलंदशहर के संवाददाता या स्ट्रिंगर के रुप में एक ‘रंडियों का ठेकेदार’ और दूसरा ‘टाइल कंपनियों के संचालकों से वसूली’ करने वाला नियुक्त करके लटकाया। बुलंदशहर में इन दोनो की नियुक्ति करने से पहले चैनल के उन कम-अक्ल उस्तादों ने क्या कुछ वैरीफाई किया था….क्या यही वैरीफाई किया था, कि एक स्ट्रिंगर शहर में पहले से दलाली करता है और दूसरा ऐसा खोज निकला, जो शहर की तमाम रंडियों का ठेकेदार है। मेरी समझ से बुलंदशहर में रखे गये दोनो स्ट्रिंगर काबिल हैं, जरुरत अगर है तो, उनकी गर्दन मसलने की, जिन्होंने अपनी रोजी-रोटी से ही गद्दारी की। जिन्होंने यह तक नहीं ख्याल किया, जिस चैनल से उसकी/ उनकी रोजी-रोटी परिवार चल रहा है, उन्होंने उसी चैनल की पीठ में छुरा घोंप दिया। दलालों और रंडियों के ठेकेदारों को चैनल का बुलंदशहर में ‘स्ट्रिंगर या संवादददाता’ बनवाकर। चैनल मालिक जांच इस बात की भी कर लें, कि कहीं बुलंदशहर के इन उस्तादों को चैनल में पलवाने वाले भी कहीं इन्हीं की तरह चैनल के बाहर मौजूद ‘रंडीखानों-से-हफ्ता-वसूली’ में लिप्त तो नहीं है।
(लेखक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल ‘क्राइम्स वॉरियर‘ के संपादक हैं)