आम आदमी पार्टी में घमासान मचा हुआ है. अरविंद केजरीवाल और योगेन्द्र यादव आमने – सामने हैं. एक-दूसरे पर हमले जारी हैं. इसी कड़ी में योगेन्द्र यादव का केजरीवाल पर नया व्यंग्यवाण-
योगेन्द्र यादव
कल शाम से ही मीडिया में खबरें आ रही थीं कि मेरे, प्रशांत, अजीत और आनंद जी को कारण-बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है. आश्चर्य की बात कि तब तक मेरे पास ऐसा कोई भी नोटिस नहीं आया था. मीडिया में तो हमारे ऊपर लगाये गए आरोप भी चल रहे थे. ये भी चल रहा था कि हमें जवाब देने के लिए सिर्फ 48 घंटे का वक़्त दिया जाएगा. मतलब हमारा कारण-बताओ नोटिस हमसे पहले मीडिया को दिया जा चुका था.
खैर, आधी रात को जाकर मुझे भी वो चिट्ठी मिल ही गयी जो असल में मेरे लिए लिखी गयी थी. सुबह उठा तो देखा कि अखबारों में भी शो-कॉज नोटिस की खबरें आ गयी. मजेदार बात ये है कि इस नोटिस में मेरे ऊपर लगाये गए आरोपों में से एक है मीडिया में ख़बर ‘लीक’ करना. जी हाँ, वो नोटिस जो मुझे मिलने से पहले ही लीक कर दिया गया था, उसमें लिखा है कि मैं ख़बरें लीक करता हूँ.
अब मुझे मिले नोटिस की बात: पूरे शो-कॉज नोटिस में एक शब्द भी इसपर नहीं है कि मैंने चुनावों में पार्टी को हराने की कोई कोशिश की हो. इतना ही नहीं, कहीं पर भी ये आरोप नहीं है कि मैंने पार्टी का संयोजक बनने के लिए षड्यंत्र रचा. पार्टी को हराने और संयोजक बनने के झूठे आरोपों के सहारे ही पिछले दो महीने से मेरे खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाया गया, हमारे खिलाफ वॉलंटियर्स को भड़काने की कोशिश हुई और हमें गद्दार तक बताने की कोशिश की गयी. और आज जब जाँच की बारी आई तो ये सारे आरोप गायब हो गए? कहाँ गए ये दोनों आरोप जिनके आधार पर नेशनल काउन्सिल की मीटिंग में हमें गद्दार बताया गया? अगर ये आरोप झूठे थे, तो कौन माफ़ी मांगेगा?
परसों मैंने अनुशास्नात्मक समीति के अध्यक्ष वाघेला जी से फोन पर बात की थी. तब तक उन्हें किसी भी तरह के कारण-बताओ नोटिस के बारे में नहीं मालूम था. वाघेला जी ने कहा कि उन्होंने भी ऐसी खबरें सिर्फ टीवी से ही सुनी है. इसका मतलब कि बिना किसी आमने-सामने बैठक के समिति ने नोटिस जारी करने का निर्णय ले लिया है.
अनुशासनात्मक समिति में तीन सदस्य हैं. एक हैं अध्यक्ष वाघेला जी. बाकी दो वो लोग हैं जिन्होंने इस पूरे विवाद के दौरान हमारे ऊपर खुल के आरोप लगाये – श्री पंकज गुप्ता और श्री आशीष खेतान. कमाल की बात है कि अब यही लोग इन आरोपों की जाँच भी करेंगे. 10 मार्च को आधिकारिक बयान जारी करके श्री पंकज गुप्ता ने हमपर आरोप लगाये थे. श्री आशीष खेतान टीवी और ट्विट्टर पर लगातार हमारे खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं. उन्होंने प्रशांत जी और उनके परिवार के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ की जिसपर बाद में माफ़ी भी मांगी और ट्वीट भी डिलीट किया था. क्या कभी आपने सुना है कि शिकायत करने वाला ही जज भी बन जाए. क्या दुनिया के किसी भी कानून में ऐसा होता है कि जो आरोप लगाये वही आरोपों की जाँच भी करे?
ये सब देखते हुए फैज़ की वो पंक्तियाँ याद आती हैं:
“ बने हैं अहल-ए-हवस मुद्दई भी, मुंसिफ भी
किसे वकील करें, किससे मुंसिफ़ी चाहें “
मैंने न्याय की इस मूलभूत बात को श्री वाघेला के आगे उठाया था और उन्होंने भी मेरी बात से इनकार नहीं किया. उन्होंने वादा किया था कि मेरी इस चिंता पर गौर फरमाएंगे. लेकिन मैं देख रहा हूँ कि अनुशासनात्मक समिति के इन सम्मानित सदस्यों ने खुद को सम्मानपूर्वक इस केस से अब तक दूर नहीं किया है.
मैं अब भी उनके जवाब का इंतज़ार कर रहा हूँ. क्या वो न्यायसंगत तरीके से खुद को रेक्यूज़ करके इस शो-कॉज नोटिस की किसी और से समीक्षा करवाएंगे? क्या किसी और की जाँच करने से पहले ये समिति पहले अपने द्वारा मीडिया में कराये गए लीक की जाँच करवाएगी? या फिर ये मज़ाक, ये तमाशा ऐसे ही चलता रहेगा?
(योगेन्द्र यादव के एफबी स्टेट्स से साभार)