मीडिया की भाषा- खतरे और चुनौतियां
नई दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में मशहूर लेखक रत्नेशवर सिंह की किताब मीडिया लाइव का विमोचन किया गया । इस मौके पर न्यूज नेशन के प्रधान संपादक शैलेश, वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव, मीडिया विश्लेषक आनंद प्रधान और वर्तिका नंदा के अलावा स्तंभकार अरविंद मोहन और प्रेमपाल शर्मा समेत राजधानी के कई बुद्धिजीवी मौजूद थे । अपने लेखकीय वक्तव्य में रत्नेशवर सिंह ने विस्तार से किताब की रचना प्रक्रिया के बारे में बताया ।
न्यूज नेशन के प्रधान संपादक शैलेश ने रत्नेश्वर की किताब को टेलीविजन पत्रकारिता करने की चाहत रहखनेवालों के लिए अहम करार दिया । कलमकार फाउंडेशन के इस आयोजन में एक परिचर्चा भी हुई जिसका विषय था – मीडिया की भाषा- खतरे और चुनौतियां । शैलेश ने इस बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि आज अगर न्यूज चैनलों के लोगो हटा दिए जाएं तो सभी न्यूज चैनल एक जैसे दिखाई देते हैं क्योंकि सभी चैनलों में एक ही भाषा का इस्तेमाल किया जाता है । उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जाहिर किया कि टेलीविजन पत्रकारों ने खबरों को समझना बंद कर दिया है ।
वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने रत्नेशवर की किताब को रोचक, महत्वपूर्ण और तथ्यपूर्ण करार दिया और कहा कि इसको पढ़ते समय संवाद, दृष्य और घटनाएं सजीव प्रभाव पैदा करती है । उन्होंने परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए बेहद आक्रामक तरीके से खबरिया चैनलों की भाषा को कठघरे में खड़ा किया । उन्होंने कहा कि आज के मीडिया में भाषा को लेकर ना तो सोच है, ना ही नीति. ना ही प्रेम और ना ही भावना । राहुल देव ने इस स्थिति पर गंभीर चिंतन की मांग की । उन्होंने मीडिया पर हिंदी के माध्यम से अंग्रेजी की नर्सरी चलाने का आरोप भी लगाया ।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए शैलेश ने कहा कि चीन के अखबारों ने सबसे पहले अपने यहां रोमन में लिखना शुरु किया । उसी तरह से उन्होंने राहुल देव की इस बात का जमकर प्रतिवाद किया कि हिंदी को छोड़कर कोई भी अन्य भारतीय भाषा अंग्रेजी का इस्तेमाल नहीं करती है । शैलेश के मुताबिक बांग्ला चैनलों में हिंदी चैनलों से ज्यादा अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल होता है । इस मौके पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजय कुंदन ने कहा कि इस आरोप पर गंभीरता से विचार करना होगा कि मीडिया सच दिखा नहीं रहा है बल्कि सच बना रहा है ।
वर्तिका नंदा ने चर्चा की शुरुआत की । इस मौके पर भारत सरकार में संयुक्त सचिव और लेखक प्रेमपाल शर्मा ने भी अपनी बात रखी । कलमकार फाऊंडेशन द्वारा आयोजित इस रोचक परिचर्चा में दिल्ली के कई नामचीन पत्रकार और लेखक मौजूद थे ।