अज्ञात कुमार
नेटवर्क 10 चैनल के मालिक राजीव गर्ग ने चैनल की नींव ही बेईमानी पर रखी। चैनल खोलने का इनका मकसद ही था कि सरकार पर दबाव बना सकें और ठेकेदारी में काले को सफेद करते रहे। इसके लिये उन्होने खण्डूरी सरकार के सबसे ताकतवर अफसर प्रभात सारंगी के चमचे बसंत निगम जो कि देहरादून में चाट का ठेला लगाते थे चैनल का सीईओ सिर्फ इसलिये बना दिया कि भारत कंस्ट्रक्शन सड़क और पुलों के ठेके में मनमानी कर सके। खण्डूरी के रहते बसंत निगम ने राजीव गर्ग को जमकर दलाली कराई और स्वंय भी लाखों कमाये।
निशंक ने मुख्यमंत्री बनते ही राजीव गर्ग को उनकी औकात बताई । उत्तराखण्ड में अपनी साख बचाने के लिये राजीव गर्ग ने हिंदुस्तान अखबार के झारखंड में तत्कालीन स्टेट हेड अशोक पाण्डेय जो कि 1998 में दैनिक जागरण के समाचार सम्पादक थे जब उस वक्त राजीव गर्ग की भारत कंस्ट्रक्शन कम्पनी की शुरुआत हो रही थी। अशोक पाण्डेय उत्तराखण्ड के सबसे प्रभावशाली पत्रकार थे इसलिये उन्हे मान मनौव्वल कर राजीव गर्ग अपने चैनल में सम्पादक बनाकर ले आये। निशंक सरकार में बसंत निगम की दलाली की दुकान बंद हो गई।
बसंत निगम की बेईमानी पकड़े जाते ही राजीव गर्ग ने चैनल चालू होने के एक महीने के अंदर उन्हे चैनल से बाहर कर दिया। उनकी जगह विवके गुप्ता सीईओ बने। विवके गुप्ता का बहुगुणा सरकार में रुतबा बढते देख राजीव गर्ग ने उन्हे भी बाहर कर दिया। अशोक पाण्डेय के उत्तराखण्ड के सभी नेताओं से मधुर संबंध होने के कारण चैनल आर्थिक रुप से मजबूत हो गया। वहीं राजीव गर्ग चैनल के माध्यम से रातो रात करोड़ पती बनने का सपना देख रहे थें।
लेकिन चैनल पर एक रुपया भी नही खर्च करना चाह रहे थें। बाजार की लगभग 2 करोड़ की देनदारी थी जिसे लेकर अशोक पाण्डे और राजीव गर्ग में आये दिन नोंक झोंक हुआ करती थी । शहर के सभी प्रमुख तगादगाार असोक पाण्डेय को रोजाना टोकते थे। राजीव गर्ग किसी भी व्यक्ति का पैसा देने को तैयार नही होते थें। जिन लोगों का चैनल पर लाखों बकाया था उनमें इसिता एडवर टाईजिंग के 20 लाख वहीं इस्टीमुलस के 18 लाख पेट्रोल पंप के मालिक विनय गोयल के 18 लाख दिल्ली व मुम्बई के बेन्डरों के लगभग 1 करोड़ बकाया था। इससे निजात पाने के लिये राजीव गर्ग ने चैनल को एक साल में 3 लोगों को बेचकर करोड़ो कमाये पर किसी का कर्ज नही चुकाया। कर्मचारियों की चार माह की सैलरी लगभग 40 लाख हजम कर गये। अशोक पाण्डे जहूर जैदी गिरधर शर्मा जो कि टॉप मैनेजमेंट में थें उनका एक साल का वेतन राजीव गर्ग चट कर गये। कई बार चैनल में कर्मचारियों ने हड़ताल की लेकिन अशोक पाण्डेय की भल मनसाहत के कारण चैनल में कर्मचारी काम करते रहे। अन्त में अशोक पाण्डेय और उनकी टीम को भी राजीव गर्ग ने बाहर कर दिया । और चैनल देवेन्द्र नेगी को 7 करोड़ में बेच दिया।
चैनल के नाम पर राजीव गर्ग ने करोड़ो कमाये दलालों ने भी मौज की लेकिन गरीब पत्रकारो को कुछ भी हासिल नही हुआ। डेढ साल में लगभग 50 कर्मचारी नौकरी छोड़कर गये। आज चैनल बंद होने से लगभग 60 कर्मचार बेरोजगार हो गये है। इससे राजीव गर्ग जैसे सेठों का कुछ नही गया। पर पत्रकार बेचारे पिस गये। मेरा सुझाव है कि भारत सरकार ऐसे कठोर नियम बनाये कि गैर मीडिया उधोगपतियों को चैनल के लाइसेंस न मिल सके । प्रोफेसनल उद्योगपति ढंग से मीडिया हाउस चलायेंगे। और पत्रकारो की दुर्गति नही होगी।
(एक पत्रकार की चिठ्ठी)
ye to bilkul sahi bat hai ki chat bechne wala nigam jab network 10 ka ceo bana to us k pair jamin par nahi asman me they…channel k paise se isne puri duniya ki sair ki..channel setup k nam par lakho ka commission khaya..jamkar mal kamaya…lekin lala ko pata chalte hi chat wala apni asli aukat me la diya gaya…lekin yah bhi satya hai ki nigam k jane k bad lutne ka kam pandey ji ne bhi bharpur kiya…pandey sahab ne bhi lakho kamaye…