वरिष्ठ पत्रकार एस एन विनोद ट्विटर पर संदेहाताम्क लहजे में लिखते हैं -” कुछ तो असहज घटित हुआ है NDTV में।’राष्ट्रीय सुरक्षा’के नाम पर अनुकूल खबरों का प्रसारण, प्रतिकूल खबरों पर आंतरिक निगरानी! NDTV ने बरखा दत्त द्वारा लिए गये पी चिदंबरम के इंटरव्यू का प्रसारण रोका।प्रसारण की घोषणा चैनल पहले कर चुका था। ”
एसएन विनोद की बातें अपने आप में ही बहुत कुछ कह जाती है. दरअसल ये सारे सवाल चिदम्बरम के इंटरव्यू को न दिखाने से शुरू हुआ.उसके बाद ख़बरों में राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीति आदि से संबंधित ग्राफिक्स चलाया गया. इसी को लेकर पत्रकार बिरादरी में कानाफूसी तेज हो गयी है. कोई कह रहा है कि मोदी सरकार के दवाब के आगे एनडीटीवी आखिरकार झुक गयी है और इसी कारण चिदम्बरम का इंटरव्यू प्रोमो दिखाने के बाद नहीं दिखाया गया. इस संदर्भ में अम्बरीष कुमार सोशल मीडिया पर संक्षेप में सिर्फ इतना लिखते हैं – एनडीटीवी भी भारी दबाव में…
दूसरी तरफ वरिष्ठ टीवी पत्रकार प्रभात शुंगलू टिप्पणी करते हुए बेहद रोचक अंदाज़ में सरकार और चैनल का नाम लिए बिना सोशल मीडिया पर लिखते हैं – “नेश्नलिस्ट सरकार की नेश्नलिस्ट पार्टी के नेश्नलिस्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय से नेश्नलिस्ट मीडिया को कल नोबेल पुरस्कार के तर्ज़ पर नेश्नलिस्ट तमगे से नवाज़ा। पिछले ढाई सालों में ‘गैर-नेश्नलिस्ट’ मीडिया का ढाई सौ बार सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। और उसे नेश्नलिस्ट बना के ही दम लिया गया। कुछ हथियार डालने को मजबूर किये गये। कुछ ने प्रतिरोध में चूं तक नहीं की। आखिरी परफेक्ट सर्जिकल स्ट्राइक दो दिन पहले थी, साउथ दिल्ली की तरफ वाले LOC पर।”
ऐसे में ये सवाल उठना जायज हैं कि चिदम्बरम का इंटरव्यू न दिखाकर एनडीटीवी ने इसपर मुहर लगा दी है कि मोदी सरकार के आगे चैनल नतमस्तक हो गया है और जल्द ही एनडीटीवी के स्क्रीन पर दूरदर्शन नज़र आएगा.